(प्रदीप कुमार )- लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा से अपने निलंबन पर कहा कि मोदी सरकार सदस्यों को निलंबित करके विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। वह सभापति के आदेश का पूरा सम्मान करते हैं, मगर यह बहुत ही अजीब स्थिति है कि उन्हें पहले फांसी दे दी गई और फिर मुकदमे का सामना करना है।
यह बातें अधीर रंजन चौधरी ने दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस संचार विभाग में मीडिया और पब्लिसिटी के चैयरमेन पवन खेड़ा भी मौजूद रहे।अधीर रंजन चौधरी ने इशारा किया कि वह अपने निलंबन पर कानूनी कार्रवाई करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि विपक्ष सदन में ये गुहार लगाता रहा कि मणिपुर में हालात गंभीर होते जा रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर अपनी बात रखें। प्रधानमंत्री मोदी हमारी बात लगातार टालते रहे, तो फिर हम आखिरी विकल्प के रूप में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। ताकि प्रधानमंत्री सदन में आकर अपनी बात रखें।
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अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह सदन की परंपरा रही है कि जब तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा खत्म न हो, तब तक किसी बिल को पारित नहीं किया जाता है। साल 1978 में सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और उसी दिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा भी शुरू हो गई थी। नतीजा ये निकला था कि सदन सुचारू रूप से चला। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी चांद से लेकर चीता तक पर हर विषय पर बात करते हैं, तो विपक्ष को लगता था प्रधानमंत्री मणिपुर पर भी अपनी बात रखेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसके उलट हुआ। जब तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा खत्म न हो, तब तक किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। यह हमारे सदन की परंपरा है।
लेकिन मोदी सरकार ने सभी परंपरागत रीति रिवाजों की धज्जियां उड़ाते हुए एक के बाद एक बिल पारित कर दिए। इस दौरान विपक्ष को विधेयकों पर अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पाया। यह बेहद दुख की बात है कि जो बिल संसद में पारित हुए हैं, उनमें हम भाग नहीं ले पाए हैं।अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के दौरान मांग करता रहा कि वह मणिपुर पर बोलें, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के सवा दो घंटे में से मणिपुर पर सिर्फ तीन मिनट बात की।