AIIMS: आधुनिक चिकित्सा के विपरीत आयुर्वेद और योग मानव स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हैं

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AIIMS: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि आयुर्वेद, योग और दूसरी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली मानव स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाती हैं, जबकि आधुनिक चिकित्सा पद्धति किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपेक्षाकृत अल्पकालिक प्रयोग करती है। राष्ट्रपति मुर्मू ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन ऋषियों ने ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके और योग का अभ्यास करके’ दीर्घायु का रहस्य खोज लिया था।

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उन्होंने‘स्वास्थ्य संबंधी मामलों से निपटने में आधुनिकता और परंपरा का मिश्रण प्रस्तुत करते हुए प्राचीन स्वास्थ्य उपचार पद्धतियों को अपनाने के लिए’ दिल्ली स्थित AIIMS की तारीफ भी की। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी में एम्स के 49 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में मानक स्थापित करने के लिए एम्स की तारीफ की। मुर्मू ने कहा कि ये संस्थान एक गौरवपूर्ण ‘मेड-इन-इंडिया’ सफलता की कहानी है और ये पूरे देश में एक अनुकरणीय मॉडल है।

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उन्होंने कहा कि AIIMS गीता के कर्म योग की चलती-फिरती प्रयोगशाला है। ‘कर्म योग’ या क्रिया योग भगवद् गीता में वर्णित तीन आध्यात्मिक मार्गों में से एक है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘‘आज स्नातक होने वाले चिकित्सक और अनुसंधानकर्ता हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करने में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण के बजाय सक्रिय दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को भी रेखांकित किया।

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