Al Mirani Fort: मस्कट के बंदरगाह प्रवेश द्वार पर पहरा देते हुए अल मीरानी किला लगभग 450 सालों से इन जलक्षेत्रों की निगहबानी कर रहा है। 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली और स्पेनिश उपनिवेशवादियों ने इस किले को बनवाया था। ये किला कभी मजबूत सैन्य गढ़ और इलाके के व्यस्त समुद्री मार्ग पर कर-संग्रह चौकी के तौर पर काम करता था।
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इस जगह से औपनिवेशिक सेनाएं अपने नौसैनिक बेड़े की रक्षा करती थीं और मस्कट के बंदरगाह में प्रवेश करने वाले सभी व्यापार को भी यहीं से कंट्रोल करती थीं। दशकों तक ये किला अरब सागर में समुद्री लड़ाईयों के केंद्र में रहा। ये किला दुनिया के सबसे पुराने समुद्री संबंधों में से एक भारत-ओमान रिश्ते का भी गवाह है। Al Mirani Fort
अल मीरानी किले के केंद्र में मस्कट के बंदरगाह भारतीय उपमहाद्वीप को अरब प्रायद्वीप से जोड़ने वाले प्रवेश द्वार के रूप में विकसित हुए। कई ओमानी परिवारों के लिए पीढ़ियों से चली आ रही कहानियां उन भारतीय व्यापारियों के साथ सदियों पुराने आदान-प्रदान की याद दिलाती हैं, जो कभी इन्हीं किलों की दीवारों के नीचे लंगर डालते थे। Al Mirani Fort
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औपनिवेशिक युद्धों से लेकर सांस्कृतिक बंधनों तक अल मीरानी किला उस इतिहास का प्रतीक है, जिसने मस्कट को आकार दिया और ये हिंद महासागर के पार ओमान और भारत के बीच साझेदारी का भी प्रतीक है। Al Mirani Fort
