नई दिल्ली (प्रदीप कुमार) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में नवनिर्मित राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कार्यकाल में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में 70 प्रतिशत की कमी आई हैं।
उद्घाटन के बाद गृह मंत्री अमित शाह का संबोधन
राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन करने के बाद शाह ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वोत्तर के 66 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) हटा लिया गया है। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस जब शासन में थी तब आठ साल में पूर्वोत्तर के राज्यों में 8,700 अप्रिय घटनाएं हुई थीं, जबकि मोदी सरकार में यह घटकर 1,700 रह गईं। गृहमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में पूर्वोत्तर में 304 सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान गंवाई थी जबकि मोदी सरकार में यह संख्या सिर्फ 87 रही। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर और देश के वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र जनजातीय बहुत हैं और वहां विकास के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है।
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दो दर्जन से भी अधिक जनजातीय संस्थान अलग-अलग नाम से कर रहे काम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी के विजन के अनुसार, राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान आखिरकार अस्तित्व में आ गया है। यह सिर्फ एक संस्था ही नहीं है, लेकिन ऐसे संस्थानों की राष्ट्र निर्माण में भूमिका होती है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि दो दर्जन से भी ज़्यादा जनजातीय अनुसंधान संस्थान अलग-अलग नाम से काम कर रहे हैं लेकिन उसको राष्ट्रीय रूप से जोड़ने वाली कड़ी नहीं है। हमारी जनजातीय समाज में बहुत सारी विविधता है। इन विविधताओं को अगर एक कड़ी नहीं जोड़ती है तो समग्र देश के जनजातीय समाज के विकास का सपना अधूरा ही रहता है। आज राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान जो बन रहा है वो एक कड़ी बनने वाला है और हमारी कल्पना का जनजातीय विकास को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
भारत तब तक प्रगति नहीं करेगा जब तक अनुसूचित जनजाति आगे नहीं बढ़ जाती
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह संस्थान देश की आजादी के 100 वर्षों तक के सफर में जनजातीय विकास की रीढ़ की हड्डी साबित होगा। गृहमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय शोध और शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता दी है। गृहमंत्री के मुताबिक, ‘‘वर्ष 2014 में कांग्रेस के राज में इस उद्देश्य के लिए सात करोड़ रखे गए थे। वर्ष 2022 में हमने 150 करोड़ रुपये रखे है।’’ इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि भारतीय जनजातियां पूरे देश में फैली हुई हैं, लेकिन पहले लोग उन्हें मुख्यधारा का हिस्सा नहीं मानते थे। रिजिजू ने कहा कि मोदी सरकार का मानना है कि भारत तब तक प्रगति नहीं करेगा जब तक कि अनुसूचित जनजाति आगे नहीं बढ़ जाती। वही केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल के दौरान जनजातीय लोगों के विकास के लिए नीतियों और कार्यक्रम को मजबूत और पारदर्शी किया गया है।
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