Asam News: असम के डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों में दो समुदायों के लिए एसटी दर्जे की मांग को लेकर मोरन और मोटोक संगठनों के बुलाए गए 12 घंटे के बंद की वजह से सोमवार को जनजीवन ठप हो गया और सभी दुकानें, दफ्तर और दूसरे इंस्टीट्यूट बंद रहे। जिला प्रशासन के पूरे जिलों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत प्रोहेबिटरी लागू करने के बावजूद हजारों आंदोलनकाररी डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया कस्बों में मेन सड़कों को और नेशनल हाइवे को बंद कर दिया।
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रविवार रात को जारी हुए जिला प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए एएमएसयू यानी ऑल मोरन स्टूडेंट्स यूनियन और एएएमवाईसीएस यानी ऑल असम मोटोक युवा छात्र संमिलन के छात्र-छात्राओं ने सुबह पांच बजे से 12 घंटे के बंद को लागू करने के लिए बड़ी संख्या में सामने आए। प्रशासन ने किसी भी बलपूर्वक बंद पर रोक, सड़क जाम करना, धरना देना, टायर जलाना और जलाने वाली चीजों को ले जाने पर रोक लगाई थी। अधिकारी ने कहा कि ऊपरी असम के दो जिलों में अलग-अलग जगहों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर जलाए, साथ ही मकुम-तिनसुकिया बाईपास पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में दो राउंड गोलियां चलाईं। सभी दुकानें, दफ्तर, बैंक और कई दूसरे इंस्टीट्यूट बंद रहे। हालांकि, बंद समर्थकों ने स्कूल बसों, परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्र-छात्राओं को ले जाने वाली गाड़ियों और इमरजेंसी सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा।
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असम के मोरन, मोटोक, चुटिया, ताई-अहोम, कोच-राजबोंगशी समुदाय एसटी दर्जे की मांग कर रहे हैं। कई सीनियर बीजेपी नेता और राज्य मंत्री नियमित रूप से आरक्षण देने का भरोसा देते आए हैं। एएमएसयू और एएएमवाईसीएस केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम के उस कथित बयान का विरोध कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया है।