Astronaut: अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रविवार को कहा कि वे बचपन में “शर्मीले और संकोची” थे और युवावस्था में उन्होंने कभी अंतरिक्ष में जाने का सपना नहीं देखा था।भारतीय वायुसेना के कार्यक्रम में शुक्ला ने कहा कि उन्होंने राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान की कहानियां सुनी, लेकिन युवावस्था तक उन्होंने यह नहीं सोचा था कि वे अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगे।Astronaut:
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उन्होंने कहा कि वह बचपन में शर्मीले और संकोची थे।शुभांशु शुक्ला ने कहा, “बचपन में हम राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा की कहानियां सुना करते थे।”अंतरिक्ष यात्री ने हाल में संपन्न एक्सिओम 4 मिशन का हिस्सा बनने के अपने अनुभव को भी साझा किया।इस मिशन के जरिए वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्ला सहित गगनयान मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों को सम्मानित किया और कहा कि गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक “नए अध्याय” का प्रतीक है।Astronaut:
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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की सफल यात्रा से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई “हमारे अपने कैप्सूल से, हमारे रॉकेट से, हमारी धरती से” अंतरिक्ष की यात्रा करेगा।ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएसएस मिशन का प्रत्यक्ष अनुभव बेहद अनमोल और किसी भी प्रशिक्षण से कहीं बेहतर था।उन्होंने कहा कि भारत आज भी “सारे जहां से अच्छा” दिखता है। ये शब्द पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में अपने अंतरिक्ष मिशन के दौरान कहे थे।Astronaut:
अपने ‘एक्सिओम-4’ मिशन को लेकर शुभांशु शुक्ला ने कहा कि आईएसएस मिशन से हासिल अनुभव भारत के ‘गगनयान’ मिशन के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा और उन्होंने पिछले साल अपने (एक्सिओम-4) मिशन के दौरान बहुत कुछ सीखा।उन्होंने कहा, “आपने चाहे कितना भी प्रशिक्षण लिया हो, लेकिन उसके बाद भी, जब आप रॉकेट में बैठते हैं और इंजन चालू होता है और आप उड़ान भरते हैं, तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही अलग एहसास होता है।”Astronaut: