Bharat: दुनिया को वैश्विक कार्यबल की जरूरत है, नई व्यापार व्यवस्थाएं उभरेंगी- विदेश मंत्री एस. जयशंकर

Bharat: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि दुनिया को वैश्विक कार्यबल की बढ़ती जरूरत होगी और अनिश्चितताओं के बावजूद नए व्यापार समझौते सामने आएंगे।उन्होंने बदलती वैश्विक गतिशीलता के बीच आर्थिक संबंधों में विविधता लाने के लिए लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के साथ भारत के बढ़ते संबंधों पर भी ज़ोर दिया। Bharat:

शनिवार को 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन (ओआरएफ) के एक पैनल में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अनिश्चितताओं के बावजूद व्यापार “अपना रास्ता खोजता रहेगा”।जयशंकर ने कहा, “दुनिया को वैश्विक कार्यबल की जरूरत होगी और अनिश्चितताओं के बावजूद व्यापार अपना रास्ता खोजता रहेगा। हम नई व्यापार व्यवस्थाएँ, तकनीक, कनेक्टिविटी और कार्यस्थल मॉडल देखेंगे, जो कम समय में वैश्विक नजरिए को बहुत अलग बना देंगे।” Bharat:

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उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही लैटिन अमेरिका और कैरिबियन जैसे क्षेत्रों के साथ जुड़ रहा है और “व्यापार और साझेदारी को और आगे बढ़ाने का लक्ष्य” रखता है।मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि “इस अशांत माहौल” में विशेष रूप से बड़े देशों के लिए अधिक आत्मनिर्भरता के लिए क्षमता निर्माण करना जरूरी है।उन्होंने कहा, “आज भारत में इस पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है। प्रौद्योगिकी, आत्मनिर्भरता, बहुध्रुवीयता और दक्षिण-दक्षिण सहयोग, सभी एक ही पहलू हैं।” Bharat:

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जयशंकर की ये टिप्पणी अमेरिका द्वारा हाल ही में नए एच-1बी वीज़ा शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर करने और रूसी तेल की खरीद पर भारत पर दंड के रूप में 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के कदमों के बीच आई है।इसके साथ ही अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गए हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं।सभी एच-1बी वीज़ा में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 71 फीसदी (2.8 लाख से अधिक) है, इसके बाद चीनी पेशेवरों की हिस्सेदारी लगभग 11.7 फीसदी या 46,600 से अधिक है। Bharat:

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