कोरोना काल के दौरान बनाये अस्थायी अस्पतालों को लेकर BJP ने दिल्ली सरकार पर बड़ा आरोप लगाया

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के लोगों ने अस्‍पतालों में बेड की कमी के चलते न जाने कितने अपने लोगों को खो दिया,अस्‍पतालों में बेड की भारी कमी देखी गई,जिस वजह से दिल्ली सरकार ने दिल्ली में अस्थायी अस्पताल बनाने का निर्णय लिया था,लेकिन इन सरकारी अस्थाई अस्‍पतालों को बनाने में बड़ा घोटाला हुआ।  दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा दिल्ली सरकार समय-समय पर सरकारी खजाने के पैसे बचाने की बात करती है और दिल्ली के मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि कई प्रोजेक्ट्स में सरकार ने ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से भी कम में काम किया और जनता का पैसा बचाया लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार बड़ा घोटाला कर रही है। आदेश गुप्ता ने कहा दिल्ली सरकार के pwd विभाग ने 7 अस्थाई अस्पताल बनाने के लिए 1256 करोड़ रुपये खर्च कर दिए जबकि इतनी रकम में परमानेंट अस्पताल बनाये जा सकते थे।

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आदेश गुप्ता ने कहा दिल्ली सरकार की पोल खुल चुकी है सरकार ने एक ही कंपनी को 3 टेंडर दिए और यह कंपनी सेम इंडिया थी, जिसे ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से लगभग 17.50 परसेंट अधिक कॉस्ट पर टेंडर दिया गया।  इस टेंडर को 6 महीने में पूरा होना था लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका और इस टेंडर में सीवीसी की गाइडलाइंस को भी फॉलो नहीं किया गया और एंटी करप्शन ब्यूरो इस विषय में कोर्ट को अपनी जांच सौंपेगा जिसके बाद साफ हो जाएगा कि कितना पैसा कम्पनी को दे दिया गया है। आदेश गुप्ता ने कहा जब इतने पैसों में परमानेंट अस्पताल बन सकता था तो टेंपरेरी अस्पताल क्यों बनाया गया और वो भी तब जब इनका इस्तेमाल भी ठीक ढंग से नही हो सका। दिल्ली में कई सरकारी अस्पताल अंडर कंस्ट्रक्शन है लेकिन सरकार ने उन्हें तैयार क्यों नहीं किया और टेंपरेरी अस्पताल पर इतनी बड़ी रकम क्यों खर्च की गई।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा 9 अक्टूबर तक एंटी करप्शन ब्यूरो से कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है और रिपोर्ट में स्थिति साफ हो जाएगी दिल्ली की जनता परेशान है और दिल्ली सरकार लूट में व्यस्त है।  मनोज तिवारी ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, पीडब्ल्यू चीफ शशिकांत और संजीव रस्तोगी पर गंभीर आरोप लगाए मनोज तिवारी ने कहा इस घोटाले में इन तीनों की अहम भूमिका है पीडब्ल्यू चीफ़ शशिकांत ने अपने रिटायरमेंट से पहले ही एक कंपनी को 3 टेंडर दिए स्थिति साफ है कि रिटायरमेंट से पहले ही इतना बड़ा फैसला कैसे लिया गया सभी टेंडर्स में लगभग 17.50 परसेंट ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से भी अधिक कॉस्ट क्यो तय की गई है मनोज तिवारी में कहा यह बड़ा घोटाला है।

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