अमन पांडेय : बिहार के मुजफ्फरपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक डॉक्टर ने महिला मरीज की दोनों किडनी निकाल लीं और फरार हो गया मरीज सुनीता बिना किडनी के ही पिछले चार महीने से अपनी जिंदगी गुजार रही हैं। दिन में सुनीता की डायलिसिस की जा रही है जिस कारण वो जिंदा हैं। इस खबर से मन में यह सवाल उठता है कि क्या कोई इंसान बिना किडनी के भी जीवित रह सकता है?
दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो एक किडनी पर ही जिंदा हैं। ऑस्ट्रेलिया स्थित किडनी हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, हर 750 में व्यक्ति की एक किडनी ही खून साफ करने का काम करती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पास एक भी किडनी ही खून साफ करने का काम करती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पास एक भी किडनी न हो तो उसके लिए बिना इलाज के जिंदा रह पाना संभव नहीं है।
किडनी हमारे खून को साफ करती है और अगर यह काम करा बंद कर दे तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति की दोनों किडनी निकाल दी जाए तो वो बिना डायलिसिस के जिंदा नहीं रह सकता। हफ्ते में उसे तीन दिन डायलिसिस की जरुरत होती है।
बिना किडनी के डायलिसिस पर इंसान की जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि इंसान का शरीर डायलिसिस पर इंसान की जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि इंसान का शरीर डायलिसिस को कैसे स्वीकार रहा है। डायलिसिस पर इंसान सालों या दशकों तक जिंदा रह सकता है। इसके लिए उसे हर दो दिन में डायलिसिस की जरुरत पड़ती है। कई ऐसे लोग हैं जो सही मैच की किडनी के लिए सालों से इंतजार कर रहे हैं।
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सुनीता के मामले में उनके पति की किडनी उनसे मैच नहीं हो पाई है वो फिलहाल मुजफ्फरपुर के SK मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज करा रही हैं। यहां कई लोग उन्हें अपनी किडनी डोनेट करने आए लेकिन मैच न होने के कारण उनका ट्रांसप्लाट नहीं हो सका है।हालांकि, इसके बाद भी संभावना बनी रहती हा कि व्यक्ति का शरीर किडनी को रिजेक्ट कर देगा, इसलिए एक साल तक उसे नियमित जांच करानी पड़ती है।
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