Chikhal Kalo Mud festival:गोवा में पणजी के मार्सेल गांव में गुरुवार को लोगों ने चिखल कालो नाम से मशहूर पारंपरिक मिट्टी का त्योहार मनाया।इस त्योहार को मनाने के लिए सैकड़ों लोग मार्सेल के श्री देवकी कृष्ण मंदिर में इकट्ठा हुए।इस दिन की शुरुआत श्री देवकी कृष्ण मंदिर में प्रार्थना से होती है। इसके बाद इलाके के लोग खुले मैदान में मिट्टी से खेलते हैं।ये त्योहार स्पेन के टोमाटीना त्योहार की तरह है।
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राज्य के पर्यटन विभाग ने इस आयोजन को राज्य स्तरीय त्योहार की मान्यता दी है। ये हर साल मानसून शुरू होने के बाद मनाया जाता है।टूरिज्म मंत्री रोहन खाउंटे ने भी इस उत्सव में हिस्सा लिया।उन्होंने कहा, “चिखल कालो उत्सव परंपरा है, संस्कृति है। ये कोई त्योहार नहीं है। सालों से हमारी पुरानी पीढ़ी इसे मनाती आ रही है। पहले लोगों को इसके बारे में पता नहीं था। हम मिट्टी और बारिश से जुड़े हुए हैं और हमारे मन में इसके लिए सम्मान है। उन दिनों जब लोगों के पास खेत नहीं थे, वे मिट्टी में आकर खेलते थे और इस तरह ये परंपरा आज भी जिंदा है।”चिखल कालो उत्सव मार्सेल गांव का बड़ा त्योहार है। इसमें लोग भजन गाते हैं। इसमें चेंदू फली (क्रिकेट जैसा) और गिल्ली डंडा जैसे पारंपरिक खेल खेला जाता है।
