तबाही की दस्तक दे रहा क्लाइमेट चेंज, पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की बदल रही स्पीड !

जलवायु परिवर्तन(क्लाइमेट चेंज) पृथ्वी को बड़ी तबाही के दलदल की ओर धकेल रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे क्योंकि वैज्ञानिकों के एक शोध में बड़ा हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। जिसके अनुसार पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की स्पीड बदल रही है। इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ने वाला है।

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आपको बता दें, एक नए शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन(क्लाइमेट चेंज) का असर पृथ्वी के केंद्र तक पहुंच गया है और इसी कारण पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की स्पीड भी बदल गई है। अब इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ने वाला है। पृथ्वी पर एक दिन में लगभग 86,400 सेकंड होते हैं। हालाँकि, इसकी एकदम सही गिनती नहीं की जा सकी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी के हर चक्कर में कुछ मिली सेकंड का बदलाव होता है। गुरुत्वाकर्षण, टेक्टोनिक प्लेटों की हरकत और पृथ्वी के कोर में होने वाले बदलावों की वजह से बदलाव होते रहते हैं। वहीं अब क्लाइमेट चेंज भी पृथ्वी की गति को प्रभावित करने की एक वजह बन गया है।

पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की गति हो रही धीमी

क्लाइमेट चेंज के कारण पृथ्वी की घूर्णन गति धीमी हो गई है, जिसका असर समय पर पड़ेगा। ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने से हमारे ग्रह की गति प्रभावित हो रही है। जैसे-जैसे ध्रुवीय बर्फ की टोपियाँ पिघल रही हैं, पृथ्वी का घूर्णन धीमा हो रहा है, जिससे दिन सामान्य से थोड़े लंबे हो रहे हैं।

घड़ियों का बदल जाएगा समय

पृथ्वी की घूर्णन गति में हो रहे परिवर्तन की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने AI की भी मदद ली है। जांच में पाया गया है कि धरती के घूमने का समय बढ़ रहा है क्योंकि घूमने की गति धीमी हो गई है। वहीं एक दिन ऐसा आएगा, जब धरती घूमना बंद कर देगी और इससे घड़ियों का समय तक बदल जाएगा। क्योंकि इसका सीधा असर दिन और रात पर पड़ेगा, जिससे इंसान हों या जानवर सबके सोने और जागने का समय बदल जाएगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 12 जुलाई को नेचर जियोसाइंस में एक रिपोर्ट छपी थी, जिसमें कहा गया था कि बढ़ती गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघलने से धरती के भूमध्य रेखा के पास ज्यादा पानी जमा हो रहा है और इस कारण पृथ्वी ठीक से घूम नहीं पा रही है। पिछले करीब 30 सालों से धरती के घूमने की गति धीमी हो रही है।

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गौरतलब है, जिस तबाही के बारे में हम कहानियों और फिल्मों में बात करते थे, वह अब क्लाइमेट चेंज के कारण हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है। लेकिन अभी भी समय है, इस तबाही को रोका जा सकता है। हमें बस इस जोखिम को समझना है और इससे निपटने के लिए अपनी-अपनी भूमिका अदा करनी होगी। इस आने वाली तबाही को रोकने के लिए सभी देशों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। ग्लोबल वॉर्मिंग पृथ्वी और उसके वासियों के लिए एक बड़ा संकट है।

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