Economic Survey: क्यों और कब हुई आर्थिक सर्वे की शुरुआत ?-जानिए

Economic Survey: देश का पूर्णकालिक बजट 23 जुलाई को वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री का लगातार यह सातवां बजट होगा जबकि मोदी सरकार का यह 11वां पूर्णकालिक बजट होगा। देश की जनता को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं। हर कोई जानना चाहता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार का बजट उनके लिए क्या खास लेकर आएगा। बजट पेश होने से एक दिन पहले वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वे(Economic Survey) पेश किया जाता है। जो बजट के मुख्य आधार के तौर पर काम करता है। इसके आकलन से हम देश की अर्थव्यवस्था का वास्तविक अंदेशा लगा सकते हैं। इस दस्तावेज को पिछले वित्तीय वर्ष में हुए खर्चों और आमदनी के आधार पर तैयार किया जाता है। इस इकोनॉमिक सर्वे में पिछले वर्ष हुई कमाई, योजनाओं पर खर्च और डेवलपमेंट ट्रेंड के बारे में डिटेल में जानकारी दी जाती है।

क्यों और कब शुरू हुआ आर्थिक सर्वे ?

बता दें, Economic Survey को मुख्य आर्थिक सलाहकार की मदद से तैयार किया जाता है, जिसे सदन में वित्त मंत्री पेश करते हैं। यह इकोनॉमिक सर्वे वर्ष 1950-51 में पहली बार लाया गया, जो वित्त वर्ष 1950-51 को दर्शा रहा था। पहले ये सर्वे बजट से अगले दिन पेश किया जाता था, लेकिन 1964 के बाद यह सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा। इसके बाद यह इसी क्रम में चल रहा है। इस सर्वे को लाने के पीछे का उद्देश्य ये ही था कि देश की आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाए और साथ ही साथ बजट को आधार बनाकर उसकी रूपरेखा को लोगों के समक्ष रखा जाए।

आर्थिक सर्वे में सरकार द्वारा पेश किए जाते हैं आंकड़े

इस आर्थिक सर्वे(Economic Survey) में सरकार को वित्तीय तौर पर बहुत से सुझाव भी प्राप्त होते हैं, जिन पर सरकार अमल कर सकती है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसे मानने के लिए सरकार बाध्य हो। साथ ही इस सर्वे में सरकार को आय और खर्च की डिटेल भी देनी होती है। जिसके बाद लोगों को पिछले वित्तीय वर्ष के सरकारी आंकड़े मिल जाते हैं। साथ ही इसके बाद विशेषज्ञ आकलन करते हैं कि देश की GDP ग्रोथ आदि क्या है? किस सेक्टर पर पिछले वित्तीय वर्ष में कितने पैसे खर्च किए गए? कहां इन्वेस्ट करने से प्रॉफिट हुआ और कहां लॉस ?

दो भागों में पेश किया जाता है आर्थिक सर्वे

आर्थिक सर्वे को दो भागों में बांटा जाता है जिसमें पहला भाग करंट सिचुएशन के बारे में बताता है, वहीं पर दूसरा भाग अलग-अलग फील्ड की जरूरी डिटेल्स के बारे में बताता है। गौरतलब है कि यह आंकड़े काफी आकलन करने के बाद और मुख्य आर्थिक सलाहकार यानी कि चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के मार्गदर्शन में तैयार किए जाते हैं।

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