Congress: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली में नियमों का उल्लंघन कर अडानी समूह को कोयला खदानें देने और छह लाख पेड़ काटे जाने को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने कहा कि सरकार ने 204 करोड़ रुपये में पूरा जंगल अडानी को सौंप दिया, जबकि वहां 11 लाख करोड़ रु. से ज्यादा का कोयला है।
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नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता विपक्ष उमंग सिंघार, कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य कमलेश्वर पटेल ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक पेड़ मां के नाम का नारा देते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार पर्यावरण और आदिवासियों के अधिकारों को कुचलकर अडानी को हजारों पेड़ काटने की खुली छूट दे रही है। प्रेस वार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मीनाक्षी नटराजन, डॉ. विक्रांत भूरिया, मोहन मरकाम, बाला बच्चन, हिना कांवरे, ओमकार मरकाम और रणविजय सिंह लोचब भी मौजूद थे। Congress:
कांग्रेस नेताओं ने मांग की कि आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण को रौंदने वाली इस पूरी संस्थागत धोखाधड़ी की तुरंत जांच की जाए और अडानी को दी गई खदानें तत्काल रद्द की जाएं। इस दौरान जमीनों से जबरन बेदखल किए गए पीड़ितों ने अपनी पीड़ा भी सुनाई गई।उमंग सिंघार ने कहा कि छत्तीसगढ़ के हसदेव को तबाह करने के बाद अब मध्य प्रदेश के सिंगरौली में अडानी को खनन के लिए सुलियारी (अंडरग्राउंड माइनिंग) और धिरौली (ओपन माइनिंग) ब्लॉक दिए गए हैं। इनके लिए अडानी को 2,672 हेक्टेयर जमीन दी गई है, जिसके लिए करीब छह लाख पेड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने इसे संस्थागत धोखाधड़ी बताया और कहा कि खदान, उसका संचालन और कोयला उत्पादन सब अडानी के हाथ में है। सरकार ने 204 करोड़ रुपये में पूरा जंगल अडानी को सौंप दिया, जबकि वहां 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कोयला है। Congress:
सिंघार ने कहा कि अडानी को जमीन देने के लिए पर्यावरण, वन्यजीव, भूमि अधिग्रहण कानूनों सहित आदिवासियों से जुड़े कई नियमों का घोर उल्लंघन हुआ है। उन्होंने बताया कि सामाजिक सर्वे में सभी को एक ही नियम में शामिल कर लिया गया, जबकि आदिवासियों के लिए अलग से सर्वे होता है। आज तक नहीं बताया गया कि किसे कितना मुआवजा मिला। 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को दरकिनार कर कोल बियरिंग एरिया एक्ट का इस्तेमाल किया गया, जिससे सरकार जबरन जमीन ले सकती है। पेसा कानून का पालन नहीं किया गया और ग्राम पंचायतों से अनुमति नहीं ली गई। Congress:
सिंघार ने कहा कि केंद्र सरकार लोकसभा में कहती है कि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में आता है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार इससे इनकार करती है। 1977 में सिंगरौली जिला बनने पर यह आदिवासी बहुल क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में था, लेकिन जब खदान अडानी को देनी थी, तो उस इलाके को पांचवीं अनुसूची से हटा दिया गया। सरकार पर अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए नियम बदलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने पूछा कि क्या यह एक सोची-समझी साजिश नहीं थी? उन्होंने आगे कहा कि राज्य की आदिवासी परामर्श समिति की कोई बैठक नहीं बुलाई गई। वन्यजीव नियमों को बदलकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया। 2,500 हेक्टेयर जमीन में से सिर्फ 554 हेक्टेयर का सर्वे किया गया, बाकी का कोई डेटा पोर्टल पर नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग समिति ने पाया कि जिन आदिवासियों की जमीनें ली गई हैं, उनको मुआवजा नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी लोगों ने आदिवासियों के नाम पर किराए के कागजात बनवा लिए और उन्हीं के नाम से 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक की रकम अपने खातों में डलवा ली। Congress:
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में देश की सबसे बड़ी आदिवासी आबादी और जंगल क्षेत्र है। यहां कानून है कि कोई गैर-आदिवासी आदिवासी की जमीन नहीं खरीद सकता, लेकिन सरकार ने 1,46,000 हेक्टेयर जमीन खनिज माफियाओं को दे दी। पिछले चार साल में 1,30,000 हेक्टेयर आदिवासी जमीन बेची गई है। भाजपा सरकार ने पांच हजार से ज्यादा खदानें नियमों को ताक पर रखकर आवंटित की हैं।
पटवारी ने कहा कि इस क्षेत्र में आदिवासी, मीडिया, जनप्रतिनिधि नहीं जा सकते, वहां पुलिस का पहरा है और उधर जाने पर मुकदमा हो जाता है। उन्होंने यह दावा भी किया कि सिंगरौली में कम से कम एक हजार लोग अडानी के ट्रकों से कुचलकर मारे गए हैं और इन मामलों को दबाने के लिए क्षेत्र में करीब 40 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री समेत पूरा तंत्र अडानी के कदमों में लेटा हुआ है। प्रधानमंत्री ने अमीर दोस्तों के चक्कर में मध्य प्रदेश में जो बंदरबांट की है, उसे कांग्रेस उजागर करेगी। Congress:
