कर्नाटक में निजी क्षेत्र में आरक्षण मसले पर विवाद तेज, इंफोसिस के पूर्व सीएफओ ने आरक्षण पर कही ये बात

Former Infosys CFO Mohandas Pai:

Former Infosys CFO Mohandas Pai: इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई ने बुधवार को ग्रुप सी और डी पदों के लिए प्राइवेट सेक्टर में कन्नड़ लोगों को अनिवार्य रूप से 100 फीसदी आरक्षण देने वाला विधेयक लाने के लिए सरकार की आलोचना की और इसे असंवैधानिक बताया।पई ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि ये विधेयक जरूरी, अवैध और असंवैधानिक है। ये संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत भेदभाव करता है। अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, लेकिन जब हरियाणा सरकार ने कुछ ऐसा ही लागू करने की कोशिश की, तो उचित प्रतिबंध नहीं होने की वजह से हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।”

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इस बिल के मुताबिक, “लोकल” की परिभाषा पर विचार करें: कोई शख्स जो 15 सालों से यहां रह रहा है और कन्नड़ बोल, पढ़ और लिख सकता है। कन्नड़ में महारत सबूत कन्नड़ विषय के साथ स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के माध्यम से दिखाया जाना चाहिए, या एक नोडल एजेंसी की तरफ से प्रशासित परीक्षा पास करके। मैं यहीं पैदा हुआ था और अपना पूरा जीवन यहीं बिताया है। लेकिन अगर मेरे स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र पर कन्नड़ नहीं है, तो मुझे गैर- माना जाएगा। अगर मैं नौकरी के लिए आवेदन करना चाहता हूं तो वे कौन होते हैं मुझे गैर-स्थानीय बताने वाले? वे कौन होते हैं ऐसी शर्तें लगाने वाले? ये असंवैधानिक है और इस पर फिर से करने की जरूरत है।”

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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक कैबिनेट ने ग्रुप सी और डी पदों के लिए प्राइवेट सेक्टर में कन्नड़ लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षण अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया।

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