(प्रियांशी श्रीवास्तव) : सुप्रीम कोर्ट में आज का दिन ऐतिहासिक पन्नों में दर्ज हो गया जब देश को 50वां प्रधान न्यायधीश मिला। जो कि देश की न्यायप्रणाली के लिए बेहद सौभाग्य पूर्ण पल रहा। चंद्रचूर्ण सीनियर जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली। अब से देश में सत्य, न्याय और निष्पक्ष की कमान नए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के हाथ होगी।
बता दें कि जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ देश के नए मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। बता दें कि प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ के दौरान कई महान हस्तियां भी मौजूद रहीं । कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सुप्रीम कोर्ट के जज, केंद्रीय मंत्री समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ कई ऐतिहासिक फैसलों का रहें हैं हिस्सा
बता दें कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में देश के 50वें सीजेआई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को पद की शपथ दिलाएंगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उच्चतम न्यायालय के पवित्र गलियारों से बेहद अच्छी तरह वाकिफ हैं, जहां उनके पिता लगभग सात साल और चार महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी सीजेआई का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। सीजेआई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक प्रधान न्यायाधीश रहे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे।
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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में अवकाश ग्रहण करते हैं। वह न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 11 नवंबर 1959 को पैदा हुए और 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गये थे।