(प्रदीप कुमार): 7 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल पर सत्तापक्ष-विपक्ष के बीच टकराव देखने को मिल सकता है।इसके अलावा विपक्ष महंगाई, रोजगार और राज्यपालों की भूमिका पर संसद में सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रहा है। संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की नजर डेटा प्रोटेक्शन बिल सहित करीब एक दर्जन बिल पारित कराने पर है, लेकिन विपक्ष के तेवर देख लगता नहीं कि सदन में उसकी राह आसान होगी।
विपक्षी दलों की ओर से राज्यों में राज्यपालों के कथित हस्तक्षेप, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग, बेरोजगारी, किसानों की समस्या, मंहगाई, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के मुताबिक ‘सरकार सत्र में सुचारू रूप से कामकाज सुनिश्चित करना चाहती हैं। इसके बारे में 6 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के साथ चर्चा होगी और विषय तय किए जाएंगे।’
कांग्रेस,टीएमसी,लेफ्ट समेत कई विपक्षी दल सत्र के दौरान महंगाई,बेरोजगारी के अलावा विपक्षी दलों के शासन वाले तमिलनाडु,पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, केरल जैसे राज्यों में राज्यपाल द्वारा कथित तौर पर कामकाज में दखलंदाजी करने के विषय को शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने बताया कि सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर अगले एक-दो दिनों में पार्टी की रणनीति संबंधी बैठक होगी जिसमें विषयों को अंतिम रूप दिया जाएगा। केंद्र सरकार इस दौरान करीब 10 महत्त्वपूर्ण विधेयक पारित कराना चाहती हैं।इसमे डेटा प्रोटेक्शन बिल पर सत्तापक्ष-विपक्ष के बीच टकराव हो सकता है।
दरअसल संसद सत्र के दौरान डेटा संरक्षण विधेयक एक प्रमुख विधेयक है, जिसपर सरकार और विपक्ष में सहमति बनना जरूरी होगा। इस विधेयक को 2019 के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन इसमें नागरिकों की निजता सहित कुछ प्रावधानों पर विपक्षी दलों के विरोध के बाद इसे संसद की संयुक्त कमिटी को भेज दिया गया था। बाद में इसे वापस ले लिया गया था। सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े विधेयक को नए सिरे से पेश करने के उद्देश्य से कुछ दिनों पहले ही संशोधित विधेयक का मसौदा जारी किया था। विपक्षी दलों ने हालांकि इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कराने के प्रयास का विरोध करने के संकेत दिए हैं।
Read also: MCD चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां जोरशोर से दिल्ली में कर रही है प्रचार
हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन कानून के तहत नागरिकों की निजता का उल्लंघन नहीं कर सकेगी और उसे सिर्फ असाधारण या अपवाद वाली परिस्थितियों में ही व्यक्तिगत डेटा या ब्यौरे तक पहुंच मिलेगी। राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा, महामारी और प्राकृतिक आपदा जैसे परिस्थितियों में ही नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच सकती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय डेटा संचालन रूपरेखा नीति में डेटा से गोपनीय तरीके से निपटने का प्रावधान है। यह डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक- 2022 के मसौदे का हिस्सा नहीं है।
Top Hindi News, Latest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi Facebook, Delhi twitter and Also Haryana Facebook, Haryana Twitter.
