दिल्ली(अवैश उस्मानी)। चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता ज़ाहिर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाने पर जोर दिया है। कोर्ट ने इस कमिटी के लिए वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, लॉ कमीशन, राजनीतिक पार्टियों, याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से 7 दिनों में सुझाव मांगा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी। Delhi latest news hindi,
सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने चुनाव आयोग के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर चुनाव आयोग ने इस मसले पर पहले कदम उठाया होता तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती, आज शायद कोई भी पार्टी मुफ्त की योजनाओं को छोड़ना नहीं चाहती। जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सिर्फ अमीरों को ही सुविधा नहीं मिलनी चाहिए, अगर बात गरीबों के कल्याण की है, तो इसे समझा जा सकता है, पर इसकी भी एक सीमा होती है। Delhi latest news hindi,
Read also: दिल्ली साउथ ईस्ट की साइबर पुलिस ने फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का किया भंडाफोड़
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का खुलकर समर्थन किया। तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त की घोषणाएं करने वाली पार्टियों पर कार्रवाई का मसला चुनाव आयोग पर छोड़ा जाना चाहिए। तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त की घोषणाओं पर अगर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा राज्यों पर लाखों करोड़ का कर्ज बकाया है, वह उसे चुकाने की स्थिति में नहीं हैं, सवाल यही है कि कर्ज़ में डूबा राज्य मुफ्त योजना को कैसे पूरा करेगा? इस पर कोई सवाल नहीं करता, राजनीतिक दल की कोई ज़िम्मेदारी तय नहीं की जाती, वह कुछ भी घोषणा कर देते हैं। Delhi latest news hindi,