2019 में दिल्ली में जामिया हिंसा मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 11 लोगों को किया आरोपमुक्त

Jamia Violence Case, 2019 में दिल्ली में जामिया हिंसा मामले में दिल्ली की साकेत .

(अवैस उस्मानी): 2019 में दिल्ली में जामिया हिंसा मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम, सफूरा जरगर, असिर्फ इकबाल तन्हा और 8 अन्य लोगों को आरोपमुक्त कर दिया। साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस असली अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही। साकेत कोर्ट ने कहा दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को बलि का बकरा बनाया। कोर्ट ने गलत तरीके से चार्जशीट दाखिल करने पर भी पुलिस की खिंचाई की। कोर्ट ने आदेश में कहा कि दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी भीड़ में कुछ लोगों को आरोपी और अन्य को पुलिस गवाह के रूप में पेश करने के लिए मनमाने ढंग से चुना। कोर्ट ने कहा कि चेरी पिकिंग निष्पक्षता के सिद्धांत के लिए हानिकारक है।

साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बिना किसी वजह के सिर्फ विरोध प्रदर्शन की जगह पर उपस्थित रहने से उन्हें आरोपी के रूप में नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने उनके खिलाफ लापरवाही से काम लिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों को लंबे समय तक चलने वाले मुकदमों की कठोरता से गुजरने देना हमारे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं हैं। साकेत कोर्ट ने कहा आरोप पत्र एक बीमार कल्पना है, जांच एजेंसियों को विश्वसनीय साक्ष्य के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शामिल करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एजेंसियों को अपराधियों के बजाय वास्तविक अपराधी को पकड़ना चाहिए।

साकेत कोर्ट के अतिरिक्त स्तर न्यायाधीश अरुल वर्मा ने फैसले में कहा एजेंसियां, दंगाइयों और विरोधियों के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है। हालांकि विरोध को एक मंच दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि असहमति शांतिपूर्ण होना चाहिए, हिंसा में नहीं तब्दील होना चाहिए। साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मो. अबुजर, उमेर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहरज रज़ा खान और चंदा यादव को आरोप मुक्त किया। हालांकि साकेत कोर्ट ने मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किया। साकेत कोर्ट ने फैसले में कहा कि मामले में पुलिस द्वारा एक चार्जशीट और तीन सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करना सबसे आसामान्य रहा, जिनमें वास्तव में कुछ भी नया नहीं था। ऐसी चार्जशीट दाखिल होना बंद होना चाहिए।

Read also: कृषि मंत्री जेपी दलाल ने अडानी की कंपनियों व बाबा रामदेव के विवादित बयानों पर दिया बड़ा बयान

साकेत कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऐसा कोई चश्मदीद गवाह नहीं है जो पुलिस के बातों को साबित कर सके कि आरोपी व्यक्ति किसी भी तरह से अपराध करने में शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट निश्चित रूप से संभावनाओं के आधार पर दायर नहीं की जा सकती है। साकेत कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऐसा कुछ रिकॉर्ड में नहीं है जिससे प्रथम दृष्टया में कहा जा सके कि आरोपी किसी दंगाई भीड़ का हिस्सा थे। इसमें कोई भी आरोपी कोई हथियार नहीं दिखा रहा था या कोई पत्थर आदि फेक रहा था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। निश्चित रूप से अनुमानों के आधार पर अभियोग नहीं शुरू किया जा सकता।

जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम पर IPC 143, 147, 148, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120B और 34 की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। शरजील इमाम जेल से फिलहाल बाहर नहीं आ सकेगा। क्योंकि साल 2020 के दिल्ली दंगे की साज़िश का केस अभी चल रहा है। भड़काऊं भाषण देने के मामले में भी शरजील इमाम पर अभी केस चल रहा है, शरजील इमाम पर।देशद्रोह और UAPA लगाया गया था इस केस में अभी ज़मानत नहीं मिली है।

 

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana TwitterTotal Tv App

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *