(अवैस उस्मानी): जम्मू कश्मीर, पंजाब समेत 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग के मामले में केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट में हल्फनामा दाखिल किया। केंद्र ने कहा कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और इसके दूरगामी प्रभाव होंग। केंद्र सरकार ने मामले में राज्यों से विचार विमर्श करने के लिए समय मांगा। केंद्र सरकार ने कहा अब तक 14 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने विचार केंद्र को भेजे हैं। केंद्र सरकार ने कहा कुछ राज्य सरकारों ने मामले में सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया। Supreme Court,
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफ़नामे में कहा कि पंजाब, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, ओडिशा, उत्तराखंड, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु , लद्दाख, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव और चंडीगढ़ ने मामले में अपने विचार पेश किये हैं। केंद्र सरकार ने हलफनामा में कहा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श बैठकें किया है। केंद्र सरकार ने कहा बैठकों में गृह मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग- कानून और न्याय मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग- शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (NCMEI) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे।
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भाजपा नेता आश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। पहली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा केवल राज्य स्तर पर ही दिया जा सकता है। यह काम जिला स्तर पर नहीं होना चाहिए। कथावाचक देवकीनंदन महाराज ने याचिका दाखिल कर कहा था कि कई राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम हो गई है, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। साथ ही हिंदुओं की गणना राज्य की बजाय जिला स्तर पर कराने की मांग की गई थी।
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