Earth: आमतौर पर हमने देखा है कि जब भी हम कोई वाहन चलाते हैं तो कई बार वाहन का संतुलन बिगड़ने के कारण वह डगमगाने लगता है। ठीक यही सब पृथ्वी के साथ भी हो रहा है। पृथ्वी का संतुलन बिगड़ चुका है जिसके कारण पृथ्वी के घूमने की गति में भी बदलाव सामने आया है। साथ ही एक शोध में यह भी बताया गया है कि पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने का मुख्य कारण बढ़ता हुआ जलवायु परिवर्तन है। पहले तो जलवायु परिवर्तन में सुधार करना संभव था लेकिन अब चाह कर भी इसे सही नहीं किया जा सकता है।
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बता दें कि जलवायु परिवर्तन इंसानों की ही देन है और अब इसका असर इतना अधिक बढ़ चुका है कि दिन के मुकाबले रातें छोटी होती जा रही हैं। पिछले कुछ समय से धरती के ध्रुवी इलाकों में बर्फ अधिक मात्रा में पिंघल रही है जिसका असल आने वाले कुछ सालों में साफ-साफ देखने को मिलेगा। ग्लेशियर के लगातार पिघलने से ग्लोबल वार्मिंग की दर भी बढ़ती जा रही है और इसके कारण समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है जो की बेहद खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
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अधिक पानी जमा होने के कारण बिगड़ रहा संतुलन- भू-मध्यरेखा के आस-पास पानी का जमा होना पृथ्वी की गति के संतुलन को बिगाड़ रहा है। यदि इसी तरह पृथ्वी के पास पानी जमा होता रहा तो एक दिन पृथ्वी घूमना बंद कर देगी और एक ही जगह पर थम जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो न तो दिन होगा और न ही रात होगी और ऐसा दिन आएगा जब घड़ियों का समय बदलेगा, इंसानों के सोने और जागने का समय बदलेगा, सिर्फ इतना ही नही जानवरों के जागने-सोने का समय भी बदलेगा। हर सदी में दिन का समय लगभग 2.3 मिलिसेकेंड तक बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे विनाश के करीब आती जा रही है।