Earthquake: बर्बादी का ये मंजर म्यांमार का है। 28 मार्च को आए भूकंप ने कई इमारतों को जमींदोज कर दिया। पूरे इलाके में मलबा बिखरा पड़ा है। मलबे में लोगों के निजी सामान कारें, किताबें भी मिल रहे हैं। इनसे पता चलता है कि भूकंप ने किस कदर तबाही मचाई है।
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बता दें, म्यांमार में 28 मार्च को आए भूकंप के बाद चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व भारत का एनडीआरएफ कर रहा है। भूकंप प्रभावित म्यांमार में कई इमारतें “पैनकेक” की तरह ढह गई हैं। दो मंजिलों की छतें आपस में चिपक गई हैं, जिनका मलबा हटाने में रेस्क्यू टीम को बहुत परेशान हो रही है। एनडीआरएफ के जवानों ने अब तक मलबे से करीब 20 शव बरामद किए हैं। ‘सेक्टर डी’ बचाव योजना के तहत, मांडले शहर की इमारतों में एक्सपर्ट तैनात किए गए हैं, जो चुनौतियों के बावजूद जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हैं।
सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में से एक रिहायशी इमारत का कैंपस है, जहां करीब 25 लोग फंसे हुए थे। इनमें महिलाएं और बच्चे ज्यादा थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भूकंप आया था तब ये लोग नमाज़ पढ़ रहे थे, जबकि पुरुष इस मुस्लिम बहुल इलाके में पास की मस्जिद में गए हुए थे। एनडीआरएफ की कोशिशों से इन लोगों की उम्मीदें बंधी हुई हैं। भूकंप के बाद भारत ने तेजी से ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया, जिसके तहत प्रभावित क्षेत्र में हवाई और समुद्री मार्ग से चिकित्सा आपूर्ति, भोजन, राशन और टेंट पहुंचाए गए।
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इसके अलावा, भारत ने बचाव और राहत प्रयासों में सहायता के लिए 80 एनडीआरएफ कर्मियों और 120 भारतीय सेना के जवानों को म्यांमार में तैनात कर दिया। एनडीआरएफ स्थानीय अधिकारियों के साथ प्रभावित लोगों में राहत सामग्री बंटवाने का काम कर रहा है। म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप में लगभग 3,000 लोगों की जान चली गई है। 400 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं और लगभग 4,500 घायल हुए हैं।