प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जो 1 अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति का विवरण देता है। यह 2022-23 वित्तीय वर्ष अप्रैल 2022 से मार्च 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 8 से 8.5 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाता है। ये चालू वित्त वर्ष के 9.2 फीसदी ग्रोथ के पूर्व अनुमान से कम है।
सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ से 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय NSO के अनुमान के मुताबिक, आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रह सकती है।
समीक्षा 2021-22 में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति के साथ ही वृद्धि में तेजी लाने के लिए किए जाने वाले सुधारों का ब्यौरा दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आर्थिक समीक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए आपूर्ति–पक्ष के मुद्दों पर केंद्रित है।
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इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण का मतलब, पिछले एक साल में देश के आर्थिक हालातों का लेखा–जोखा से है। इससे पता चलता है कि पिछले एक साल में देश में कितना विकास हुआ और कितना पैसा कहां खर्च हुआ, इसकी समीक्षा की जाती है। इस सर्वे से देश की GDP का भी अनुमान लगाया जाता है।
अब सबकी निगाहें कल 1 फरवरी को पेश हो रहे आम बजट पर होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी। यह लगातार दूसरा आम बजट है जो अर्थव्यवस्था पर कोरोना के साये के बीच पेश हो रहा है। वित्त मंत्री के सामने कोरोना के कारण चुनौतियों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ मध्य और गरीब वर्ग को राहत देने की है। चूंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्री के समक्ष इन राज्यों को सियासी संदेश देने की भी चुनौती है।