Govardhan Puja: क्यों मनाया जाता है यह पर्व, क्या है पूजा के लिए शुभ मुहूर्त ?

Govardhan Puja

Govardhan Puja: आज यानी 2 नवंबर को पूरे देश में धूम-धाम से गोवर्धन पर्व मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह खास दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा को समर्पित है। इस दिन गायों का श्रृंगार किया जाता है और गायों के गोबर से गोवर्धन  (Govardhan) पर्वत की आकृति बनाई जाती है और फिर उसकी पूजा की जाती है।

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पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त ? 

पूजा के लिए आज 3 शुभ मुहूर्त है, जिसमें से पहला सुबह के समय 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। फिर तीसरा मुहूर्त 5 बजकर 45 मिनट से लेकर 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। तिथि का समापन शाम को 8 बजकर 21 मिनट पर होगा।

क्या है इस दिन का पौराणिक इतिहास ?

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार गोकुल में जोरों-शोरों से उत्सव की तैयारी चल रही थी। हर घर में पकवान बन रहे थे, तब कृष्ण भगवान ने मैया यशोदा से पूछा कि यह किस खास उत्सव की तैयारी चल रही है? तब यशोदा मैया ने बताया कि इंद्र देव की पूजा के लिए यह खास तैयारी की जा रही है क्योंकि इंद्र देव जब बारिश करते हैं तो तभी हमारा अन्न अच्छा पैदा होता है।

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कृष्ण भगवान ने कहा कि हमें इंद्र की बजाय गोवर्धन (Govardhan) पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाय तो वहीं से चारा खाती है और उस पर्वत पर लगे पेड़-पौधों के कारण ही बारिश होती है। सभी को अच्छे से समझाने के बाद सभी गोकुल वासी गोवर्धन की पूजा की तैयारी  करने लगे, जिसके बाद जब यह बात इंद्र को पता चली तो उसे बहुत गुस्सा आया। अहंकार में डूबे हुए इंद्र ने मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी। यह सब देख कर भगवान श्रीकृष्ण ने सभी को गोवर्धन पर्वत की शरण में खड़ा कर दिया। सभी का बचाव किया चाहे कोई मनुष्य हो या दूसरा जीव। 7 दिन तक बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। इंद्र को चिंता होने लगी कि आखिर कैसे कोई मनुष्य इतने लंबे समय तक पर्वत को उठा कर रख सकता है। जब इंद्र देव को इस बात का पता चला कि स्वयं श्रीकृष्ण भगवान ने गोकुल वासियों की रक्षा की है, तो उन्होंने भगवान कृष्ण से माफी मांग कर गोवर्धन (Govardhan)  की पूजा की। कहा जाता है कि तभी से हर साल यह पूजा की जाती है।

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