हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय(HC) ने हरियाणा सरकार के दादूपुर-नलवी नहर के डी- नोटिफिकेशन कानून 101ए को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है और किसानों के हक में निर्णय दिया है। इसके चलते जहां अब एक ओर किसानों को बकाया मुआवजे की रकम मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इस नहर के फिर चालू होने से 223 गांवों के लोगों को सिंचाई के लिए पानी का लाभ भी मिलेगा।
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दादूपुर-नलवी संघर्ष समिति के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ढिल्लों ने बताया कि दादूपुर-नलवी नहर को लेकर हरियाणा सरकार की ओर से जो डी नोटिफिकेशन का 101ए के तहत कानून पारित किया गया था उसको लेकर हरियाणा एवं पंजाब HC ने केस पर सुनवाई करते हुए 20 दिसंबर 2024 को अपने आदेश में रद्द कर दिया है। इसके चलते किसानों को अब अपने मुआवजे की बकाया राशि मिलेगी और नहर के दोबारा शुरू होने पर 223 गांव के लोगों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा।
कश्मीर सिंह ढिल्लों ने बताया कि 2004 -2005 में दादूपुर-नलवी नहर का कार्य शुरू हुआ था और 2008-2009 से इस नहर में पानी चालू कर दिया गया था जो लगातार 2017 तक चलता रहा। जिससे इस क्षेत्र में भूमि का जलस्तर भी बढ़ा और गांव की जमीनों को सिंचाई का लाभ भी मिला।
उन्होंने बताया कि यह नहर 50 किलोमीटर तक की बनाई गई और इसमें 1026 एकड़ भूमि को अधिकृत किया गया था। उस समय में सरकार की ओर से भूमि मालिकों को 5 लाख से लेकर 14 लाख रुपये तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी गई थी। जबकि उस समय जमीन की बाजार में कीमत 40 से 50 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। इसको लेकर 2005 से कम मुआवजा राशि देने की और बाजार भाव के अनुसार एक करोड़ 25 लाख रूपये मांग की भी लड़ाई लड़ी। फिर उच्च न्यायालय ने 2016 में मुआवजा राशि प्रति एकड़ एक करोड़ 16 लाख रूपये निर्धारित की थी।
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उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार की ओर से 2018 में बनाए गए डी- नोटिफिकेशन 101ए कानून को HC ने रद्द कर दिया है। हालांकि इसमें सरकार ने समय-समय पर न्यायालय में कई बदलाव करने की जानकारियां दी थीं। ढिल्लों ने ये भी बताया कि यह देश की पहली ऐसी नहर है जिसमें 10 साल तक पानी छोड़कर उसे बंद कर दिया गया और सरकार की ओर से निविदा के माध्यम से नहर की मिट्टी को उठाकर बेच दिया गया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने वन विभाग और सिंचाई विभाग से भी जानकारी ली थी। यहां भूजल स्तर के रिचार्ज के लिए भी नहर को चालू करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया इस समिति की ओर से इसको लेकर जहां डेढ़ साल तक धरना प्रदर्शन किए गए। वहीं 80 किलोमीटर का पैदल मार्च भी निकाला गया था। उन्होंने हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय का आभार जताते हुए कहा कि 20 दिसंबर 2024 को उच्च न्यायालय ने यह फैसला हमारे (किसानों) के हक में सुनाया है। इस फैसले के आने से 223 गांवों के लोग खुश हैं।
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