लखनऊ(आकाश शेखर शर्मा): इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आगरा के ताजमहल में बंद पड़े 20 कमरों को खुलवाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार भी लगाई है। ताजमहल के 20 कमरों को खुलवाने के साथ ही सर्वे कराने की याचिका खारिज होने पर याचिका दायर करने वाले भाजपा नेता डा रजनीश सिंह ने कहा कि हम सर्वे के मामले को अब सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे।
ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, PhD करें, तब कोर्ट आएं। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा। ताजमहल कब बना,किसने बनवाया,जाओ पढ़ो पहले। जस्टिस उपाध्याय ने कोर्टरूम में सवाल पर सवाल दागे, य़ही नहीं जस्टिस उपाध्याय ने ये भी कहा PIL व्यवस्था का मजाक मत बनाओ।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप एक समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज की मांग कर रहे हैं, आप कौन होते हैं, यह आपका अधिकार नहीं है और न ही यह RTI अधिनियम के दायरे में है, हम आपकी दलील से सहमत नहीं हैं।
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आपको बता दें कि भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की थी। उन्होंने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए। याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने की मांग की थी। इसके बाद से ही देश में ताजमहल के कमरों के रहस्यों को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। वहीं, इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल विश्व विरासत है। इसे धार्मिक रंग नहीं देना चाहिए।
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