उत्तरप्रदेश में इन दिनों हत्या, अपहरण और रेप के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। एक सवाल ये भी उठता है कि क्या जैसे गैंगस्टर और आतंकवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन चलाए जाते हैं तो क्यों इन राक्षसों जैसी मानसिकता वाले लोगों के ख़िलाफ़ कोई ऑपरेशन नहीं चलाया जा सकता ?
कम से कम कोई ऐसी पुलिसिंग व्यवस्था हो, जहां हर ज़िले में लोगों को क्लास दी जाए, समझाया जाए और जैसे अपराधियों की पहचान करती है पुलिस और उन्हें पहले ही गिरफ़्त में ले लेती है तो सही वैसे ही इन बलात्कारियों की भी पहचान की जाए और उनकी निगरानी की जाए।
अगर बात सरकार की करें तो सरकारों का कभी रेपिस्टों को लेकर वैसे नज़रिया नहीं रहा, जैसे कि बाक़ी अपराधियों के प्रति रहता है। हालाँकि, सरकार हर एक पर नज़र नहीं रख सकती और ऐसी गंदगी को समाज से दूर करना इतना संभव नहीं होगा लेकिन कम से कम इन्हें मुख्य धारा के अपराधियों में तो शुमार करो।
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दूसरी ओर अगर बात पुलिस की हो तो वो ठीक है और रेपिस्ट के साथ भी बड़े अपराधियों की तरह ही पेश आती है, जैसे आपने अभी हापुड़ में देखा होगा, जब 6 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को पकड़ा गया था। हैदराबाद में भी बलात्कारियों का एनकाउंटर हुआ, निर्भया केस में भी अपराधियों को पकड़ा गया था। कहना का मतलब सिर्फ़ इतना है की पुलिस अपनी जगह ठीक है लेकिन शासन की तरफ़ से बलात्कारियों की विरुद्ध भी अभियान चलाया जाना चाहिए क्या ?
बहुत सी और बातें है कहने को लेकिन बस इतना ही कहा जा सकता है की लोग खुद अपने आस पास की गंदगी को साफ़ करने के लिए अब अपनी कमर कस लें। क्योंकि रेपिस्ट पकड़े जाएँगे और सजा भी होगी लेकिन बेटी तो गयी और उसके साथ उसका परिवार भी हमेशा के लिए दुखी हो गया। कितना भी मुआवजा मिल जाए और कितने भी साल बाद बेटी को इंसाफ मिले, लेकिन बेटी तो गई,,,वो वापस नहीं आ सकती !!!
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