देश के कई हिस्सों में फरवरी में ही मार्च-अप्रैल जैसी भयंकर गर्मी, फसलों पर भी पड़ा असर

(अभयेन्द्र प्रताप सिंह): देश के कई हिस्सों में फरवरी में ही मार्च-अप्रैल के दौरान रहने वाला तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है। इसके चलते इस वर्ष बहुत तेज गर्मी और लू चलने की आशंका पैदा हो गई है। वाराणसी में भी अधिकतम तापमान 36 से 38 डिग्री पहुंच गया है। मौसम विभाग के अनुसार सामान्य से अधिक तापमान गेहूं और अन्य फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

फरवरी माह में रिकॉर्ड गर्मी से परेशान लोग अभी से पंखा चलाने को मजबूर हो गए तो वहीं किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गेहूं और सरसों की फसलों को सबसे भारी नुकसान पहुंच सकता है। इसके चलते गेहूं के पौधे में फूल आने और फली के पकने का चक्र गड़बड़ा सकता है। इससे उपज घट सकती है। बागवानी पर भी ऐसा ही प्रभाव पड़ सकता है। विभाग ने किसानों को फसलों की हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है।

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। जिस कारण, लोग फरवरी माह में ही अप्रैल जैसी गर्मी महसूस कर रहे हैं। यह कोई सामान्य बात नहीं है, क्योंकि खेतों में गेहूं, मटर और जौ आदि फसलों पर इसका असर पड़ेगा। गर्मी बढ़ने से गेहूं के दाने बड़े नहीं होंगे। अक्टूबर-नवंबर माह में किसान रोपाई करता है, बीजों को बोता है और फरवरी माह में जब तापमान को ठंडा होना चाहिए तो यहां भीषण गर्मी पड़ रही है। ऐसे में गेहूं की बाली में दाने बहुत छोटे होंगे। साथ ही, गुणवत्ता भी उसमें सही नहीं होगी। फरवरी माह में मार्च जैसी गर्मी से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है गेहूं सरसों की फसल को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।

वाराणसी ने पिछले 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बनारस का तापमान 36 डिग्री आंका गया है। 50 साल पहले फरवरी माह में वाराणसी का तापमान 35.5 डिग्री बताया जा रहा है। भीषण गर्मी में बारिश होने के कोई आसार नहीं है और न ही ठंडी हवाएं चलेंगी तो वहीं रूस यूक्रेन का युद्ध का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में, रूस और यूक्रेन आपस में लड़ रहे हैं और ऐसे में दोनों देश भारत से आस लगाए बैठे क्योंकि उनका मानना है। भारत गेहूं ज्यादा प्रोडक्शन करता है और उन्हें सप्लाई भी करेगा। लेकिन जब इस तरीके की गर्मी पड़ेगी तो फसल की प्रोडक्शन कम होगी और प्रोडक्शन करने में बड़ी समस्याएं होगी।

Read also: नौकरी करने वाली महिलाओं को मिलेगी पीरियड्स लीव? सुप्रीम कोर्ट का जवाब

मौसम विज्ञानिक ने आगे कहा कि हवा की रफ्तार 6.5 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रह सकती है जो कि सामान्य है बढ़कर 10 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है. रात्रि में तापमान में गिरावट आएगी और अधिकतम तापमान 22 डिग्री रहेगा। इन सब की सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है जिसे रोकने के लिए हमें ठोस कदम उठाने ही होंगे। अगर इन सब चीजों को रोकना है तो जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देना होगा प्रदूषण को रोकना होगा. ग्रीन हाउस गैस जैसी चीजों से बचना होगा पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों का कम इस्तेमाल करना होगा और प्रदूषण न फैले इसके लिए हमें साइकिल या इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल का इस्तेमाल करना होगा।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana TwitterTotal Tv App

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *