Krishna Janmastmi:भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने वाला त्योहार जन्माष्टमी नजदीक आ रही है,वैसे-वैसे अलीगढ़ में बने,कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की मूर्तियों की मांग बढ़ रही है।देश और दुनिया भर के व्यापारी इन मूर्तियों के लिए ऑर्डर देना शुरू कर चुके हैं।मूर्तियों का ये कारोबारा सालाना हजार करोड़ रुपये का है।कपिल कुमार वार्ष्णेय, मूर्ति विक्रेता इसकी डिमांड उत्तर प्रदेश में भी है और पूरे हिंदुस्तान में है और उसके बाद सबसे ज्यादा डिमांड इसकी यूएसए में है हमारे बहुत सारे एनआरआई वहां पर हैं उनके अंदर बहुत ज्यादा जागरुकता है जो ठाकुर जी को मानते हैं फिर सिंगापुर है वियतनाम है,नेपाल में भी बहुत जाता है। तो बाहर विदेशों में भी इसकी जन्माष्टमी में अच्छी डिमांड निकल कर आती है इन मूर्तियों को बनाने में कई चरण और प्रक्रिया शामिल है,जिसके लिए कुशल हाथों की आवश्यकता होती है।अनुमान है कि अलीगढ़ में सभी समुदायों के लगभग 5,000 परिवार इन मूर्तियों को बनाने में लगे हुए हैं।जन्माष्टमी के आसपास मांग बढ़ने पर उसे पूरा करने के लिए अलीगढ़ में कारखाने और वर्कशॉप दिन-रात काम करती हैं।
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लड्डू गोपाल यहां से निर्मित होकर पूरे देश-विदेश में जाते हैं। इस व्यापार से सभी समुदाय के लोग जुड़े हुए हैं,काफी समुदाय के लोग इसमें भागीदारी देते हैं। इसका प्रोसेस भी बहुत है जैसे हम पहले इसका मिट्टी का पीस बनाते हैं फिर इसका पेटर्न बनाते हैं और फिर उसके बाद हम इसको पीतल में डेवलप करते हैं। ये मूर्तियां कई आकार और रंगों में आती हैं। चमकदार पीतल के अलावा, सफेद और काली मूर्तियां भी उपलब्ध हैं। इससे हर परिवार के लिए सही मूर्ति तलाशना संभव हो जाता है।बाजार में आए हैं लड्डू गोपाल जी देखने और साइज भी देख रहे हैं, सभी साइज के मौजूद हैं जीरो नंबर से लेकर 10-12 नंबर तक के ठाकुर जी हैं।जनमाष्टमी पर तो ठाकुर जी ही सबसे ज्यादा बिकते हैं।दो-तीन तरीके के आते हैं ठाकुर जी एक व्हाइट पॉलिश में भी आते हैं,एक ब्लैक भी चल रहे हैं और ये पीतल का तो कलर होता ही होता है।ये अपने ऊपर है जैसे जिसको पसंद आएं,शायद मैं तो यही पीतल वाले लूंगी।ये मूर्तियां अलग-अलग समुदायों और कई तरह के कारीगरों की कारीगरी से तैयार होती हैं।