QR Code: क्या है क्यूआर टेक्नोलॉजी, जिसकी मदद से लगाया गया लापता बच्चे का पता?

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QR Code: मुंबई में रहने वाला दिव्यांग बच्चा विनायक कोहली रास्ता भटकने की वजह से अपने परिवार से बिछड़ गया था। लेकिन क्यूआर यानी क्विक रिस्पांस कोड पेडेंट की वजह से वो कुछ घंटों के भीतर ही अपने परिवार के पास पहुंच गया। ये क्यूआर कोड पेंडेंट दिव्यांग विनायक के माता-पिता का पता लगाने में मुंबई पुलिस के लिए मददगार साबित हुआ।

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दरअसल, विनायक 11 अप्रैल को वर्ली इलाके के अपने घर से लापता हो गया था। वो कोलाबा जाने वाली बस में सवार हो गया था। क्यूआर कोड पेंडेंट बुजुर्ग और दिव्यांग बच्चों को खो जाने पर घर का रास्ता खोजने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। लॉकेट में स्लीक डिजाइन होता है और ये एक धागे से बंधा होता है। इसे स्कैन करने के बाद उसे पहनने वाले व्यक्ति का पता और उससे जुड़ी जानकारी का पता लगाया जा सकता है। क्यूआर कोड पेंडेंट 24 साल के अक्षय रिडलान के दिमाग की उपज है। वे प्रोजेक्ट चेतना के जरिए पेंडेंट मुफ्त में बांटकर बुजुर्गों के साथ-साथ अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।

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लापता बच्चे विनायक की बहन श्रद्धा ने बताया कि एक कंडक्टर ने पुलिस स्टेशन में इनफॉर्म किया। इनफॉर्म करने के बाद पुलिस उसको कोलाबा पुलिस स्टेशन ले गई। इसके बाद पेंडेंट में पुलिस का ध्यान वहां पर गया, पुलिस को उसके बारे में पता नहीं था। फिर उन लोग वहां पर स्कैन किए तो एनजीओ का नंबर मिला, एनजीओ ने फिर हम लोगों को कॉन्ट्रैक्ट किया फिर पता चला कि विनायक कोलाबा में पहुंच गया है।

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