Indian proud moments-भारतीय एथलीटों ने पिछले एक पखवाड़े में अपने शानदार प्रदर्शन से एशियाई खेलों में 107 पदकों का जादुई आंकड़े छू लिया है। इसके साथ ही देश को 2024 पेरिस ओलंपिक में अब तक की सबसे अच्छी जीत का वादा किया है। हांगझोउ में भारत की अंतिम तालिका में 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक रहे, जो 2018 में जकार्ता में जीते गए 70 पदकों की तुलना में लंबी छलांग हैं। शनिवार को भारतीय एथलीटों ने अपने अभियान के आखिरी दिन छह स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य पदक जीते।
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की बैडमिंटन जोड़ी ने एशियाई खेलों में भारत के लिए पहला बैडमिंटन स्वर्ण पदक जीता। पवन सेहरावत की अगुवाई वाली पुरुष कबड्डी टीम ने फाइनल में ईरान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक हासिल किया। निशानेबाजों ने 22 पदकों का योगदान दिया, जबकि ट्रैक और फील्ड एथलीटों ने 29 पदक हासिल किए। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया और पेरिस ओलंपिक के लिए अपनी जगह पक्की कर ली।
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महिलाओं की 5000 मीटर स्पर्धा के आखिरी 30 मीटर में पारुल चौधरी की सनसनीखेज दौड़ को भी लंबे समय तक याद रखा जाएगा। मेरठ की धाविका ने जापान की रिरिका हिरोनका को करीबी मुकाबले में पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता। भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने जैबलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। अच्छी खबर ये रही कि भारत के ही किशोर कुमार जेना ने रजत पदक पर कब्जा किया।
कैनोयर्स अर्जुन सिंह और सुनील सिंह सलाम का पुरुष डबल 1000 मीटर में ऐतिहासिक कांस्य के साथ-साथ राम बाबू और मंजू रानी का मिश्रित 35 किलोमीटर रेस वॉक में तीसरा स्थान हासिल करना इस बात का सटीक उदाहरण है कि अगर एथलीट जीवन में आने वाली कठिनाइयों के आगे झुकने से इनकार करते हैं, तो शानदार प्रदर्शन करते हैं। भारतीय टीम के असरदार प्रदर्शन ने एक बात साफ कर दी है। भारत अब कई खेलों में बढ़त वाला देश है, जहां अपार संभावनाएं हैं और जो सही समय पर चरम पर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं।