एक ऐसी जानकारी आपको दे रहे हैं इससे पहले आपको कहीं नही मिली होगी ये कोई कहानी नहीं बल्कि पुख्ता खबर है। तो अब हम आते हैं मुख्य बिंदु पर.. दरअसल नाम जिससे आप की पहचान होती नाम से ही किसी भी व्यक्ति को जाना जाता है। नाम ही सब कुछ है। लेकिन यहां कुछ अलग ही माजरा है जो थोड़ा क्या पूरा ही अलग है। भारत जैसे देश में कई अनूठी परंपरा को लिए एक ऐसा ही गांव है जहा आपको नाम से नहीं किसी खाश धुन से बुलाया जाता है और जाना जाता है। इतना ही नही एक दूसरे से बातचीत भी सीटी के जरिए ही की जाती है। ऐसे सीटी बाज गांव की ओर ले चलते हैं आपको हम……
जी, हां अनूठी बात है मेघालय के कोंगगोंथ गांव की है। जहां लोग आपस में नाम से नही गाने की धुन से बात करते है यह गांव खासी पहाड़ी के बीच है जो राजधानी शिलॉन्ग से करीब 60 किलो मीटर की दूरी पर है। इस गांव में लोगों के दो नाम होते है है एक नियमित और दूसरा एक गाना होता है इस गाने के भी दो वर्जन होते है जिसका एक गाना यानी नाम घर में बोला जाता है। बताया जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद ही उस धुन को जिससे पहचाना जाता उसे मां तूब ही तैयार कर देती है।
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जब इंसान की मौत होती है तो उसी दौरान उस नाम की धुन को खत्म कर दिया जाता है। बीते साल पर्यटन मंत्रालय ने कोंगथोंग गांव को बेस्ट टुरिज्म विलेजस अवार्ड के लिए भी चुना था साल 2019 में इस गांव को बिहार के राज्यसभा सांसद ने गांव को गोद लिया था।