Aditya L-1: आदित्य-एल1 की निगरानी में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) एक अहम भूमिका निभाएगा। आईएसटीआरएसी सैटेलाइट की निगरानी करता है और उसे ट्रैक भी करता है।आईएसटीआरएसी के निदेशक रामकृष्ण बी. नरसिम्हामूर्ति ने कहा कि आईएसटीआरएसी लॉन्च पैड से उड़ान भरने के समय से लेकर आदित्य-एल1 को हेलो ऑर्बिट में रखने की तारीख तक का डेटा दे रहा है।
Read also-बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने डाला वोट, लोगों से वोट डालने की अपील की
उन्होंने कहा कि आईएसटीआरएसी के ग्राउंड स्टेशन दूसरे अंतरराष्ट्रीय स्टेशनों के साथ-साथ आदित्य-एल1 का भी डेटा दे रहे हैं।इसरो ने शनिवार को सूर्य की स्टडी करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय ऑब्जर्वेटरी, आदियता-एल1 को अपने डेस्टीनेशन ऑर्बिट लैग्रेंज प्वाइंट-1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को इस नई उपब्धि के लिए बधाई दी।इसरो ने कहा कि एल-1 प्वाइंट के चारों तरफ हेलो ऑर्बिट में एक सैटेलाइट को सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने का बड़ा फायदा है।
एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया।63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी के चारों तरफ 235×19500 किलोमीटर के इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया गया।
आर रामकृष्ण नरसिम्हामूर्ति, निदेशक, इस्ट्रैक अगर आप देखें, तो आईएसटीआरएसी लॉन्च पैड से उड़ान भरने के समय से लेकर उस समय तक का डेटा दे रहा है, जब हमने इसे हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया है। आदित्य-एल वन को हेलो ऑर्बिट में रखने की तारीख तक का डेटा दे रहा है। ये दुनिया भर में दूसरे अंतरराष्ट्रीय ग्राउंड स्टेशनों के साथ-साथ आदित्य-एल वन का डेटा भी दे रहा है। इसलिए, ये डेटा सैटेलाइट की निगरानी और निर्धारण करने के साथ-साथ सैटेलाइट को ट्रैक करने के लिए बहुत अहम होगा।”
(Source PTI)