Kargil Vijay Diwas: लखनऊ में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की विरासत को जिंदा रखा हुआ है उनका परिवार

Kargil Vijay Diwas

Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की यादें आज भी उनके परिवार के जरिए जीवित हैं। मात्र 24 साल की उम्र में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इस वीर सपूत की बहादुरी को आज भी लोग श्रद्धा से याद करते हैं। तीन जुलाई 1999 को कैप्टन मनोज पांडेय ने द्रास घाटी को दुश्मनों से मुक्त कराने के दौरान शहादत दी थी।

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उत्तर प्रदेश के सीतापुर में जन्मे कैप्टन मनोज 1/11 गोरखा राइफल्स के अफसर थे। उनकी बटालियन ने सियाचिन ग्लेशियर में डेढ़ साल की तैनाती पूरी कर पुणे लौटने की तैयारी की थी, तभी उन्हें कारगिल के बटालिक सेक्टर में भेजा गया। वहां उन्हें जूबर, कुकरथाम और खालुबर क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई। Kargil Vijay Diwas 

 कैप्टन मनोज पांडेय ने कई अहम अभियानों में हिस्सा लिया और जुबर टॉप पर कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने खालुबर हिल्स के बंकर हिल के किनारे दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति पाई। Kargil Vijay Diwas

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लखनऊ में उनके परिवार ने उनके सम्मान में एक स्मृति कक्ष बनाया है, जिसमें उनकी वर्दी और परमवीर चक्र की प्रतिकृति सजी हुई है। कैप्टन पांडेय की मां इस कमरे की देखभाल करती हैं और सेना में शामिल होने का सपना देखने वाले युवा अक्सर उनके घर आकर आशीर्वाद और प्रेरणा लेते हैं। Kargil Vijay Diwas

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