करनाल(विकास मेहल): शनिवार को सिख समुदाय के लोगों ने हरियाणा के करनाल जेल में बंद सिखों की रिहाई को लेकर सड़कों पर उतर कर रोष मार्च किया। गुरूद्वारा सिख प्रबंधक कमेटी के ओर से हर जिले में रोष मार्च कर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। उसी कड़ी में आज करनाल के गुरूद्वारा डेरा कार में कमेटी के SGPC के सदस्य एकत्रित हुए और वहां से जिला सचिवालय तक सरकार के खिलाफ रोष मार्च करते हुए एसडीएम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
रोष मार्च कर रहे सिख समाज के लोगों ने कहा कि जादी के 75 साल बाद भी देश की आजादी के लिए 80 फीसदी से ज्यादा कुर्बानी देने वाले सिखों के साथ बेगानों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इसका एक उदाहरण तीन दशकों से भारत की विभिन्न जेलों में नजरबंद सिख हैं। जिन्हें अपनी सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है। ये वह बंदी सिख हैं, जिन्होंने 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिख धर्मस्थलों पर सैन्य हमलों के विरोध में संघर्ष का रास्ता चुना था। इन सिख बंदियों को रिहा न करके सरकारें लगातार सिखों के साथ भेदभाव कर रही हैं, जो मानवाधिकारों का एक बड़ा उल्लंघन है।
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इस समय देश में 75वां आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। लकिन आज भी हमारे सैकड़ों सिख जिनकी सजा पूरी हो चुकी है। उनको सरकार द्वारा रिहा नहीं किया गया। देश की आजादी में सबसे ज्यादा कुर्बानी सिखों ने दी है। अगर बंटवारे की बात करे तो उस समय सबसे ज्यादा नुकान हमारा ही हुआ था। पाकिस्तान से बहुत से सिख भारत में आए थे। आज जो इस देश के अंदर सिख समाज की दशा है उसे देखकर रोना आता है।