Honey Trap Case: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में एक मंत्री और अन्य राजनीतिक नेताओं को कथित रूप से ‘हनी ट्रैप’ में फंसाने का प्रयास करने के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का अनुरोध करने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
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याचिका में जांच की निगरानी शीर्ष अदालत या फिर उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा कराए जाने का भी अनुरोध किया गया था।याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि मीडिया में आई खबरों के अनुसार मामले के पीछे छिपे लोगों के खिलाफ गहन जांच की जरूरत है।याचिका में आरोप लगाया गया कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा न्यायाधीशों को ‘हनी ट्रैप’ में फंसाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है।
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अधिवक्ता अभिषेक द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया, “21 मार्च 2025 को विभिन्न समाचार मंचों ने कर्नाटक राज्य विधानमंडल यानी विधान सौध के सदस्यों पर गंभीर आरोपों की खबरें चलाईं थी।खबर में कहा गया कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वाला एक व्यक्ति न्यायाधीशों सहित कई लोगों को मोहपाश में फंसाने में सफल रहा है।
याचिका के मुताबिक, “आरोप एक मौजूदा मंत्री द्वारा लगाए गए हैं, जिन्होंने खुद को पीड़ित बताया है और इससे गंभीर आरोपों को विश्वसनीयता मिलती है।सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने 20 मार्च को विधानसभा में बताया था कि उन्हें मोहपाश में फंसाने का प्रयास किया गया था और अलग-अलग दलों के कम से कम 48 नेता इसी तरह की साजिश का शिकार हुए हैं।