Ladakh: उच्चतम न्यायालय ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की संशोधित याचिका को बुधवार को स्वीकार कर लिया और केंद्र तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से दस दिन के भीतर जवाब मांगा।न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से संशोधित याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 24 नवंबर के लिए स्थगित कर दी।Ladakh
Read Also: Coastal Weather: मोंथा चक्रवात के आंध्र प्रदेश के तट से गुजरने के बाद विजयवाड़ा में भारी बारिश
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को भी प्रतिउत्तर, यदि कोई हो तो, दाखिल करने की अनुमति दी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 15 अक्टूबर को अंगमो की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी, क्योंकि उन्होंने वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने के लिए अतिरिक्त आधारों के साथ एक संशोधित याचिका दायर करने का अनुरोध किया था।वांगचुक वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर स्थित केंद्रीय कारागार में बंद हैं। इसमें कहा गया था कि जोधपुर जेल के जेलर द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि वांगचुक के बड़े भाई और वकील ने बंदी से मुलाकात की थी।Ladakh
Read Also: Coastal Weather: मोंथा चक्रवात के आंध्र प्रदेश के तट से गुजरने के बाद विजयवाड़ा में भारी बारिश
इससे पहले सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया था कि वांगचुक को अपनी पत्नी के साथ कुछ ‘नोट्स’ का आदान-प्रदान करने की अनुमति दी जाए। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस कथन पर गौर किया कि उन्हें बंदी द्वारा अपनी पत्नी के साथ ‘नोट्स’ साझा करने से कोई समस्या नहीं है।उच्चतम न्यायालय अदालत ने छह अक्टूबर को केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को नोटिस जारी किए थे। हालांकि, उसने हिरासत का कारण बताने की उनकी याचिका पर कोई आदेश देने से इनकार कर दिया था।Ladakh
वांगचुक को 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह घटना केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई थी। इस प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे।सरकार ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। रासुका केंद्र और राज्यों को व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है ताकि उन्हें ‘‘देश की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले’’ कार्य करने से रोका जा सके। हिरासत की अधिकतम अवधि 12 महीने है, हालांकि इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है।Ladakh
