Lung Cancer: कैंसर (Cancer) एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है। यह उन गंभीर बीमारियों की लिस्ट में आती है, जिसका अगर समय रहते इलाज ना हो तो यह इंसान की जान तक ले सकती है। पहले ऐसा माना जाता था कि कमजोर इम्यूनिटी के कारण यह बीमारी केवल अधिक उम्र के लोगों में ही होती है। लेकिन समय के साथ-साथ लोगों का ये भ्रम भी चकनाचूर हो गया। यह गंभीर बीमारी अब ना सिर्फ बड़े बुजुर्गों को ही अपना शिकार नहीं बनाती बल्कि अब इसने युवाओं को भी अपने चपेट में लेना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं कि युवाओं में बढ़ते कैंसर का मुख्य कारण क्या है?
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युवाओं में बढ़ते कैंसर के मामलों को ध्यान में रखते हुए एक शोध किया गया जिसमें इस बात की जानकारी निकलकर आई है कि भारत के युवाओं में अलग-अलग तरह के कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार वैश्विक स्तर पर आने वाले समय में कैंसर के मामलों में 75% की वृद्धि हो सकती है। अक्सर आपने ध्यान दिया होगा कि जितनी अधिक बीमारियां अब के समय में हो रही है। उसकी आधी से भी कम पहले समय में सुनने को मिलती थी। जिसका कारण हमारा खानपान और हमारा लाइफस्टाइल भी है। इसी तरह से ये सब गतिविधियां हमारे जीवन में बीमारियों का कारण बन रही हैं।
क्या है कैंसर होने के मुख्य कारण?- कैंसर होने के कई सारे कारण होते हैं, जिनमें से कुछ हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां होती है और कुछ हमारा खानपान लेकिन कैंसर को लेकर रिसर्च में एक चौंकाने वाला मामला भी सामने आया है, जिसमें यह पाया गया कि पैसिव स्मोकिंग या सेकंड हैंड स्मोकिंग कैंसर का मुख्य कारण बन रही हैं। हमारी जिंदगी में इतनी अधिक व्यस्तता आ जाती है कि हम अपने खानपान पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। समय कम होने की वजह से बाजार से जो कुछ भी मिलता है हम वही सब खा लेते हैं। जो धीरे धीरे हमारी इम्यूनिटी को तो कमजोर करता ही है और हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियों को भी न्योता देता है।
क्या है पैसिव स्मोकिंग ?- बता दें, पैसिव स्मोकिंग का मतलब है कि आप स्वयं स्मोकिंग नहीं करते परंतु आपके आस पास के लोग सेवन करते हो। जिससे वो धुंआ आपके शरीर में जाता रहता है और इससे आपके लंग्स पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में लोगों का मानना होता है कि हम जबतक खुद सिगरेट, बीड़ी का सेवन नहीं करते, तब तक इससे हमारे शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यह भावना पूरी तरह से गलत है। असल में प्रभाव धुंए का पड़ता है सिगरेट का नहीं। जब कोई व्यक्ति सिगरेट या बीड़ी पीता है तो उसका धुंआ आस पास की हवा में मिल जाता है। उसी वायुमंडल में सांस लेने से हमारे अंदर भी धुंए के कण प्रवेश कर जाते हैं। जो कैंसर का कारण बनता है।
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कैसे बरतें एहतियात?- कैंसर के शुरूआती चरण में इसे सुधारा जा सकता है। परंतु जैसे ही इसे अधिक समय हो जाता है, ना ही इसका इलाज संभव होता है बल्कि यह अधिक गंभीर रूप ले लेता है। इसलिए जरूरी है कि नियमित रूप से मेडिकल जांच और स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए। ताकि इसे लक्षणों का पता शुरुआती चरणों में लगाया जाए। रोजाना एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट की वजह से हमारा इम्यूनसिस्टम भी ठीक रहता है जिससे हमें जल्दी से बीमारी नहीं जकड़ सकती।