Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में आदिवासियों द्वारा पुलिस टीम पर किए गए हिंसक हमले में एक सहायक उपनिरीक्षक की हत्या और कई अधिकारियों के घायल होने के एक दिन बाद, पुलिस ने रविवार 16 मार्च को छह लोगों को गिरफ्तार किया है। बाकी हमलावरों की पहचान करने की कोशिश तेज कर दी है।
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बता दें, राज्य के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर स्थिति का आकलन करने के लिए पड़ोस के रीवा जिले का दौरा किया। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। पुलिस ने मऊगंज से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित गदरा गांव में तलाशी अभियान चलाया, जहां शनिवार को हिंसक झड़प हुई थी, जिसके बाद छह लोगों को गिरफ्तार किया गया। आदिवासियों के एक समूह ने कथित तौर पर एक व्यक्ति का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी और फिर उसे बचाने की कोशिश करने वाली पुलिस टीम पर हमला कर दिया, जिसमें सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) रामचरण गौतम की मौत हो गई।
मुख्यमंत्री ने रविवार 16 मार्च को गौतम के परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गौतम को शहीद का दर्जा दिया जाएगा, क्योंकि वे ड्यूटी के दौरान शहीद हुए। उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। पुलिस कर्मियों की भारी तैनाती के बीच गदरा में स्थिति नियंत्रण में है। सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और गड़बड़ी को रोकने से संबंधित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 पहले ही क्षेत्र में लागू कर दी गई थी। हिंसा तब शुरू हुई जब कोल जनजाति के सदस्यों ने सनी द्विवेदी का अपहरण कर लिया। उन पर कई महीने पहले एक आदिवासी व्यक्ति अशोक कुमार की मौत के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया। पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि कुमार की मौत एक सड़क दुर्घटना में हुई थी, लेकिन कोल जनजाति का मानना था कि द्विवेदी इसमें शामिल थे अधिकारियों ने बताया कि जब द्विवेदी के अपहरण की सूचना पुलिस को मिली तो शाहपुर थाने के प्रभारी संदीप भारतीय के नेतृत्व में एक टीम गदरा गांव भेजी गई।
हालांकि, जब तक वे पहुंचे, द्विवेदी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। जब पुलिस ने हस्तक्षेप करने और द्विवेदी को बंधक बनाए गए कमरे को खोलने का प्रयास किया, तो लाठी-डंडों और पत्थरों से लैस आदिवासियों ने उन पर हमला कर दिया। इसके बाद मची अफरातफरी में विशेष सशस्त्र बल के एएसआई रामचरण गौतम गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस हमले में कई और अधिकारी भी घायल हो गए और उन्हें तुरंत स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया। हमले के बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने और अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ीं। रीवा रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक साकेत पांडे ने रविवार को कंफर्म किया कि छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और पुलिस, हमले में शामिल बाकी लोगों की सक्रिय रूप से तलाश कर रही है। पुलिस ने बाकी अपराधियों की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
रीवा संभाग के आयुक्त बीएस जामोद ने कहा कि घटना में घायल हुए सात अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि एक तहसीलदार और एक पुलिस उपनिरीक्षक, जिनके सिर में चोट और फ्रैक्चर है, उनका रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में इलाज चल रहा है, जबकि पांच पुलिसकर्मियों का मऊगंज जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि घायल खतरे से बाहर हैं।
डीजीपी मकवाना दोपहर में रीवा पहुंचे और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मऊगंज जाने से पहले उन्होंने संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में घायल तहसीलदार और उपनिरीक्षक से मुलाकात की। इससे पहले दिन में सीएम यादव ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर पहुंचने और स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य बनाने का निर्देश दिया है। गृह विभाग का प्रभार भी संभाल रहे यादव ने कहा कि उन्होंने इस तरह की अमानवीय और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि दिवंगत गौतम के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी और उनके योग्य उत्तराधिकारी को सरकारी सेवा में समायोजित किया जाएगा। राज्य सरकार हमेशा अपने वीर सपूतों को नमन करती है। मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल ने बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए अवैध ड्रग्स के कारोबार में शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख जीतू पटवारी ने दावा किया कि पिछले एक-दो दिनों में पांच जगहों पर पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया है। पुलिसकर्मी का अंतिम संस्कार सतना जिले के गुलुआ पवैया गांव में किया गया।