नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी फूड एंड ड्रिंक कंपनियों में शुमार नेस्ले ने कथित तौर पर स्वीकार किया है कि उसके 60% प्रोडक्ट्स हेल्दी कैटेगरी में नहीं आते।
कंपनी अब अपने प्रोडक्ट्स में न्यूट्रिशन वैल्यू बढ़ाने के लिए नई योजना पर काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के एक इंटरनल डॉक्यूमेंट में ये बात कही गई है कि उसके 60% प्रोडक्ट्स ‘स्वस्थ्य की मान्यता प्राप्त परिभाषा’ और पोषण को पूरा करने में विफल रहे हैं।
इस खुलासे के सामने आने के बाद अब हड़कंप मचा हुआ है। फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि कंपनी के ज्यादा पंसद किए जाने वाले फूड और ड्रिंक प्रोडक्ट हेल्थ और न्यूट्रिशन के स्टैंडर्ड पर खरा उतरने में नाकाम रहे हैं।
रिपोर्ट में लिखा है कि नेस्ले ने स्वीकार किया है कि उसके 60% से ज्यादा मेनस्ट्रीम प्रोडक्ट्स स्वास्थ्य की स्वीकृत परिभाषा को पूरा नहीं करते हैं और कुछ प्रोडक्ट्स कभी भी हेल्दी नहीं हो पाएंगे, चाहे उनमें कितना भी बदलाव किया जाए।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑस्ट्रेलिया के हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम में, एनिमल फूड और मेडिकल न्यूट्रिशिन को छोड़कर, नेस्ले के केवल 37% फूड एंड बेवरेज प्रोडक्ट्स (रेवेन्यू के आधार पर) 3.5 से ज्यादा की रेटिंग पाने में कामयाब रहे हैं।
इस सिस्टम में प्रोडक्ट्स को 5 स्टार के अंदर रेट किया जाता है। नेस्ले ने कहा है कि वो अपने सभी प्रोडक्ट्स को पोषक बनाने की योजना पर काम कर रही है।
कंपनी ने कहा, हम अपने सभी पोर्टफोलियों पर काम कर रहे हैं और ये सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वो पोषण और स्वास्थ्य के पैमाने पर खरा उतरे।
हमने पिछले दो सालों में प्रोडक्ट्स में शुगर और सोडियम को काफी हद तक कम किया है, 14-15% केवल पिछले सात सालों में कम किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में नेस्ले के ग्लोबल रेवेन्यू में योगदान के मामले में भारतीय बाजार को 11वें स्थान पर रखा गया था।
भारत में इसकी आठ प्रोडक्शन यूनिट हैं और 2020 में कंपनी ने 13,290.16 करोड़ रुपए की नेट सेल्स रिपोर्ट की थीं।
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