Mansoor khan- फिल्म निर्माता मंसूर खान ने कहा है कि उन्होंने अपने चचेरे भाई सुपरस्टार आमिर खान की 1988 की सुपरहिट फिल्म “कयामत से कयामत तक”, “जो जीता वही सिकंदर” और “अकेले हम अकेले तुम” जैसी हिट फिल्मों के साथ शानदार समय बिताया है।
सुर्खियों और ग्लैमर से दूर रहकर 2000 में शाहरुख खान अभिनीत फिल्म “जोश” से संन्यास लेने का फैसला करने वाले मंसूर खान ने कहा कि उन्हें फिल्में बनाने के दौरान बुरे सपने आते थे। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक नासिर हुसैन के बेटे मंसूर खान के अनुसार, उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और एमआईटी जैसे इंजीनियरिंग कॉलेज को छोड़ने के बाद नौकरी करना पसंद नहीं किया। इसी का असर था कि उन्हें मजबूरन फिल्मी दुनिया में आना पड़ा।
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मंसूर खान, फिल्म निर्माता: “मुझे फिल्में बनाने के दौरान बुरे सपने आते हैं। मुझे फिल्में बनाना पसंद नहीं है। मैं चीजों की योजना के प्रति आभारी हूं और ये जिस तरह से हुआ उसके लिए मैं आभारी हूं। लेकिन मैं ये भी जानता था कि ये मेरी आजीवन यात्रा नहीं थी। मैंने कभी भी बॉक्स ऑफिस पर सफलता के इरादे से “कयामत से कयामत तक” नहीं बनाी। यह एक बहुत ही संयमित फिल्म है। इसमें बहुत ज्यादा डायलॉगबाजी नहीं है। आप उन्मादी अभिनय और इस तरह की चीजें नहीं जानते हैं। मैंने वो सब मॉडरेट किया। शायद एक तरह से दर्शक अतिउत्साही चीजों से इतने तंग आ गए थे कि उन्हें यह और भी ज्यादा पसंद आया।”
शुरुआत में मैं इसे निर्देशित नहीं करना चाहता था। लेकिन मुझे लगता है कि अब आखिरकार मैं इस नतीजे पर पहुंच गया हूं कि मुझे ये करना होगा। मैं बहुत तनाव लेता हूं, अरे ये हुआ, ये नहीं हुआ। लेकिन आमिर ने मुझे आश्वासन दिया और मैंने देखा है कि अब फिल्में बनाना बहुत संरचित है, शूटिंग बहुत ज्यादा संरचित है। जब मैं फिल्में बना रहा था तो ऐसा नहीं था।”
उन्होंने कहा कि वे जल्ही ही फिल्मों से अपनी दूरी खत्म कर सकते हैं क्योंकि वो अपनी नई पुस्तक “वन: द स्टोरी ऑफ द अल्टीमेट मिथ” को स्क्रीन पर लाने की योजना बना रहे हैं। ये पुस्तक हार्पर कॉलिन्स इंडिया की तरफ से प्रकाशित की गई है।