यूपी- देश में सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपने-अपने सियासी गणित बिठाने में लगे हैं। यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच INDIA गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है और दोनों दल अब साथ मिलकर राज्य की 80 लोकसभा सीटों पर NDA का मुकाबला करेंगे। इस गठबंधन के तहत सपा 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मगर बड़ी बात ये है कि इन दोनों दलों के साथ होने के बाद भी ये चुनावी जंग आसान नहीं होने वाली, क्योंकि बहुजन समाजवादी पार्टी अभी INDIA गठबंधन से दूरी बनाए हुए हैं और बसपा सुप्रीमो मायावती का इरादा अकेले चुनाव लड़ने का है। वहीं प्रदेश में भी वर्तमान में बीजेपी की दमदार योगी सरकार है और पीएम मोदी खुद आगामी चुनाव में 400 पार का नारा लगवा रहे हैं।
आपको बता दें, एक ओर जहां प्रदेश में मजबूती के साथ दोबारा बनी BJP की योगी सरकार है वहीं दूसरी ओर बहुजन समाजवादी पार्टी। इससे इतर यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच INDIA गठबंधन को आगामी लोकसभा चुनाव की जंग आसान नहीं होगी। अगर बसपा सुप्रीमो मायावती भी INDIA गठबंधन के साथ होतीं तो शायद प्रदेश में BJP से मुकाबला करना आसान हो पाता ।
मायावती को नजरअंदाज करना पड़ सकता है INDIA गठबंधन को भारी-
दिल्ली की कुर्सी तक का रास्ता यूपी से होकर जाता है ऐसी सियासी कहावत काफी प्रचलित है क्योंकि यूपी देश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाला राज्य है। माना जाता है जो यूपी जीत गया वो दिल्ली जीत गया और आगामी लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन का मुकाबला वर्तमान में बेहद मजबूत राजनीति दल BJP के साथ है। इस चुनाव में बसपा सुप्रीमो एवं पूर्व सीएम मायावती को नजरअंदाज करना INDIA गठबंधन को भारी पड़ सकता है। यूपी में दलित वोट बैंक पर मायावती का दबदबा आज भी कायम है। वहीं INDIA गठबंधन अब तक मायावती को अपने साथ ला पाने में नाकामयाब रहा है।
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मायावती का INDIA गठबंधन में शामिल ना होना किस तरह से इसे नुकसान पहुंचा सकता है इसका ट्रेलर 2023 के नगर निगम चुनाव में देखने को मिला था। यूपी के 17 नगर निगम के मेयर चुनाव में BJP ने क्लीन स्वीप कर सभी की सभी सीटों पर विजय हासिल की थी। वहीं इन 17 में से 4 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने BJP उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी थी, जिससे सपा का सारा खेल बिगड़ गया था। फिलहाल देखना होगा कि अब यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन कितना कारगर साबित होता है।
गौरतलब है, इससे पहले भी साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश और राहुल की जोड़ी एकसाथ चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन कोई कारनामा करके नहीं दिखा पाई थी। इस जोड़ी को BJP से करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में सपा 232 सीट से घटकर 47 पर और कांग्रेस 7 सीटों पर ही सिमट गई थी और तब बसपा को 19 सीटें पर जीत मिली थी। वहीं बीजेपी 312 सीटें सीटकर अपनी सरकार बनाई थी।