Migraine: हर व्यक्ति का जीवन किसी न किसी रूप में बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है। इनमें वे भी शामिल हैं जो मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों से पीड़ित हैं, जैसे स्ट्रोक, Migraine, मिर्गी। जलवायु परिवर्तन इनके लिए बहुत खतरनाक है।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर संजय सिसोदिया के नेतृत्व में हुआ है। इसके अनुसार, मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों के स्वास्थ्य पर कहीं गहरा प्रभाव जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएं डाल रहे हैं। 1968 से 2023 के बीच प्रकाशित 332 अध्ययनों की समीक्षा अंतरराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुई है। इसके अलावा, 2016 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 19 तंत्रिका तंत्र स्थितियों को देखा है। इनमें शामिल हैं स्ट्रोक, Migraine, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस, मिर्गी और मल्टीपल स्केलेरोसिस। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को चिंता, अवसाद और सिजोफ्रेनिया जैसे सामान्य मानसिक रोगों पर भी देखा है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि मस्तिष्क संबंधी रोगों को जलवायु में आए ऐसे बदलावों ने प्रभावित किया है, विशेष रूप से जब यह दो ऋतुओं के लिए असामान्य है। रात का तापमान भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गर्म रातें नींद को बाधित करती हैं। दिमाग से जुड़ी कई समस्याएं खराब नींद से पैदा होती हैं। प्रचंड गर्मी या लू के दौरान स्ट्रोक की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ी है। इसके कारण दिव्यांगता या मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है। मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों में भी ऐसा देखा गया है।
कुल 100 शहरों में से 43 भारत में और 37 चीन में पर्यावरण और जलवायु जोखिमों का सामना कर रहे हैं। वेरिस्क मैप क्रॉफ्ट की रिपोर्ट एनवायर्नमेंटल रिस्क आउटलुक के अनुसार, विश्व भर में 576 शहरों को पर्यावरण और जलवायु संबंधी जोखिमों के अनुसार श्रेणीबद्ध किया गया है। इन 100 शहरों में से 99 एशिया में हैं, जबकि अकेला गैर-एशियाई शहर लीमा है।
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