National Wildlife Day: अक्सर आप बहुत से जानवरों या पक्षियों के बारे में बड़े-बुजुर्गों से सुनते होंगे। उन जानवरों को आपने कभी नहीं देखा होगा, बस उनके बारे में सुना होगा। आप कई बार खुद भी यह महसूस करते होंगे कि धीरे-धीरे पक्षी लुप्त होते जा रहे हैं। पहले सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से आपके दिन की शुरुआत होती थी, अब दिन में भी आपको पक्षियों की आवाज कम सुनने को मिलती होगी। क्योंकि जानवर और पक्षी धीरे -धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। इन जानवरों को बचाने के लिए और उनके संरक्षण के लिए हर साल 4 सितंबर को राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण दिवस (National Wildlife Day) मनाया जाता है।
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राष्ट्रीय वन्यजीव दिन का इतिहास-
इस दिन को मनाने की शुरुआत 2005 में कोलीन पैगे ने की थी। वे एक वन्यजीव विशेषज्ञ और पशु प्रेमी व्यक्ति थे। लुप्तप्राय जानवरों को बचाने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई। विश्व वन्य जीव दिवस (World Wildlife Day) 3 मार्च को मनाया जाता है, लेकिन राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस (National Wildlife Day) मनाने का इतिहास इससे थोड़ा अलग है। 1972 में 4 सितंबर को भारत सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसलिए यह दिवस आज के दिन यानि की 4 सितंबर को मनाया जाता है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम क्यों लाया गया ?
यह अधिनियम इसलिए लाया गया क्योंकि ज्यादातर वन्यजीव (Wildlife) प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। उन्हें संरक्षित किया जा रहा है, ताकि उन्हें बचाया जा सके। भारत में 4 बिलियन प्रजातियों में से 99% से अधिक विलुप्त हो चुकी है । जिनमें 1 चौथाई स्तनधारी, 6 में से 1 पक्षी प्रजाती और 40% उभयचर विलुप्त होने के खतरे में है। ऐसा कह सकते हैं कि कुल मिलाकर 35000 प्रजातियां है, जो हाशिये पर है।
भारत के सबसे बड़े पशु अभयारण्य-
भारत में पशु पक्षियों और अन्य जीवों को बचाए रखने के लिए खास अभयारण्य बनाए गए। जिनमें से कुछ प्रमुख हैं, जैसे-
कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड: इस उद्यान का नाम एक प्रसिद्ध वन्यजीव (Wildlife) कथाकर जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया था। यह भारत का सबसे पुराना वन्यजीव अभयारण्य है। 1936 में बंगाल के बाघों को सुरक्षा देने के लिए यह स्थापित किया गया । यह भारत के साथ-साथ दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान, केरल: यह एक सुंदर अभयारण्य है, जहां पहाड़ियों, नदी और वन्यजीव (Wildlife) का लुत्फ एक साथ उठाया जा सकता है। यह प्रसिद्ध इलायची पहाड़ियों और पेरियार नदी के पास स्थित है। जहां पर माउस डियर, सांभर हिरण, वूफिंग हिरण, नीलगिरी, लंगूर, पैंथर जैसे जानवर देखने को मिलेंगें। यह अभयारण्य पहाड़ियों, झीलें, वनस्पतियों और जीव-जंतु, बाघों और हाथियों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है।
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल: यह सबसे बड़े मैंग्रोव वन के लिए प्रसिद्ध है। यह 10,000 किमी. से ज्यादा में फैला हुआ है। यह भारत और बांग्लादेश के बीच बंगाल की खाड़ी के डेल्टा में स्थित है। 1987 में इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी थी। रॉयल बंगाल टाइगर का घर, मगरमच्छ और सांपों की आबादी के लिए यह उद्यान प्रसिद्ध है।
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काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम: यह अभयारण्य वनस्पतियों, जीवों के लिए काफी प्रसिद्ध है। जहां पर एक सींग वाला गैंडा, कई प्रकार की वनस्पतियां और अन्य जानवरों की प्रजाति देखने को मिल जाएगी । इसी के साथ यहां पर हाथी, जंगली एशियाई जानवर, जल भैंस, दलदली हिरण, टाइगर रिजर्व और गंगा डॉलफिन भी देखने को मिल जाएंगी।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश: यह अभयारण्य मुख्य तौर पर हरे-भरे खेत और बांस के जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर विशालकाय बारहसिंगा, लकड़बग्घे, मोर, नेवले, बाघ, जंगली पक्षी, तेंदुआ, चीतल हिरण, बार्किंग डियर, सियार समेत 22 स्तनधारी जानवर मौजूद हैं। इसी के साथ यहां पर 250 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां और हजारों कीट देखने को मिल जाएंगे।