( प्रियांशी श्रीवास्तव): दिल्ली सरकार के थिंक टैंक डीडीसीडी के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह को पद से हटाने के दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना का रुख मांगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह मामले में दिल्ली उप राज्यपाल के अधिकारो की समीक्षा करेगा। दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई टली अगली सुनवाई 28 नवम्बर को होगी। दिल्ली हाईकोर्ट में जैस्मीन शाह ने DDCD को उपाध्यक्ष के पद के दायित्व के निर्वहन से रोकने तथा उनके कार्यालय को सील करने के दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश को चुनौती दी है साथ ही दिल्ली के LG के फैसले पर रोक लगाने की अंतरिम राहत की भी मांग की है।
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जैस्मीन शाह के वकील ने राजीव नायर ने कहा कि DDC में नियुक्ति सरकार के निर्णय से होती है, एलजी ने मुख्यमंत्री को जैस्मीन शाह पर कार्रवाई करने के लिए कहा था, LG का आदेश पूरी तरह से निराधार है। जैस्मीन शाह के वकील ने राजीव नायर कहा एलजी के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है, मामले में तीन संदेहास्पद आदेश है, जैस्मीन शाह के कार्यालय को सील कर दिया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आदेश केवल एक सिफारिश है, ऑफिस जैस्मीन शाह का निजी जगह नहीं है। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री ने इस सिफारिश के बाद कोई ऐक्शन लिया।
जैस्मीन शाह के वकील राजीव नायर ने कहा कि मुख्यमंत्री DDC दिल्ली के चेयरमैन है, और अध्यक्ष का पद सरकार से जुड़ा हुआ होता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या यह एक राजनीतिक कार्यालय है? आयोग में चयन के लिए क्या कोई योग्यता निर्धारित नहीं है? जैस्मीन शाह ने याचिका में 18 नवंबर के उप राज्यपाल के फैसले को ‘बिल्कुल गैरकानूनी” एवं ‘‘अंसवैधानिक” करार दिया है।
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