भोपाल गैस पीड़ितों को अतरिक्त मुआवजा नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की केंद्र की याचिका

(अवैस उस्मानी): 1984 भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड से 7400 करोड़ रुपए के अतिरिक्त मुआवज़ा देने की मांग पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था न कि तीन दशक के बाद। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में कोई बीमा पाॅलिसी न लेकर सरकार ने बड़ी लापरवाही किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड पर कोई फ्रॉड का केस नहीं बनता।

1984 के भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवज़ा बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका पर दखल देने से इंकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था न कि तीन दशक के बाद।केंद्र सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक के पास मौजूद 50 करोड़ रुपए का उपयोग लंबित दावों को मुआवजा देने के लिए किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड पर कोई फ्रॉड का केस नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समझौते को सिर्फ फ्रॉड के आधार पर रद्द किया जा सकता है, केंद्र सरकार की तरफ से समझौते में फ्रॉड को लेकर कोई दलील नहीं गई।

भोपाल गैस कांड में केंद्र सरकार ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर यू नियन कार्बाइड के साथ 1989 के समझौते को फिर से खोलने की मांग किया था। केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका में भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की मांग किया था। सरकार चाहती है कि यूनियन कार्बाइड गैस कांड पीड़ितों को यह पैसा दिया जाए। यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा।

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दरअसल केंद्र सरकार ने 2011 में सुप्रीम कोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे के लिए क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी।केंद्र ने कहा कि अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कंपनी, जो अब डॉव केमिकल्स के स्वामित्व में है को 7413 करोड रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने के निर्देश दिए जाए। दिसंबर 2010 में दायर याचिका में शीर्ष अदालत के 14 फरवरी, 1989 के फैसले की फिर से जांच करने की मांग की गई है, जिसमें 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर (750 करोड़ रुपये) का मुआवजा तय किया गया था। केंद्र सरकार के अनुसार, पहले का समझौता मृत्यु, चोटों और नुकसान की संख्या पर गलत धारणाओं पर आधारित था, और इसके बाद के पर्यावरणीय नुकसान को ध्यान में नहीं रखा गया था.  ये मुआवजा 3,000 मौतों और 70,000 घायलों के मामलों के पहले के आंकड़े पर आधारित था, क्यूरेटिव पिटीशन में मौतों की संख्या 5,295 और घायल लोगों  का आंकड़ा 527,894 बताया गया है।

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