लोक सभा अध्यक्ष ने पानीपत और करनाल की जिला परिषदों के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए आयोजित परिचय कार्यक्रम को संबोधित किया

(प्रदीप कुमार)- लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने पानीपत और करनाल की जिला परिषदों के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए आयोजित परिचय कार्यक्रम को संबोधित किया । इस अवसर पर करनाल के सांसद,  संजय भाटिया और सोनीपत और करनाल जिला परिषद के अध्यक्ष भी उपस्थित थे।
लोक सभा अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि वे अपनी दायित्वों के साथ पूरा न्याय करेंगे और जिन लोगों ने उन्हें चुना है, उनकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि पंचायती राज व्यवस्था से लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और स्थानीय स्वशासन की भावना साकार होती है।
प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान, ओम बिरला ने कहा कि ‘पंचायत राज’ इकाइयां लोकतंत्र की नींव हैं और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था देश की पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ आधार पर  मजबूती से टिकी हुई है। उन्होंने यह विचार व्यक्त किया कि स्थानीय स्वशासन से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित होती है और इसके माध्यम से आम आदमी अपने कानूनों, नीतियों आदि की योजना बनाने और उन्हें आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होता है ।

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प्रतिनिधियों को इस बात का स्मरण कराते हुए कि लोगों की आकांक्षाएं ही उनकी नीतियों का आधार होनी चाहिए, ओम बिरला ने आशा व्यक्त की कि वे उत्कृष्टता के साथ अपना कार्य करेंगे। उन्होंने यह विचार भी व्यक्त किया कि गाँव भारतीय लोकतंत्र के केंद्र में है और हमारे गाँवों को मजबूत और समृद्ध बनाने से मजबूत भारत बनेगा। इसलिए स्थानीय प्रतिनिधियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। प्रतिनिधियों की भूमिका के बारे में बात करते हुए  बिरला ने कहा कि पंचायती राज प्रतिनिधियों का जनता के साथ घनिष्ठ संपर्क होता है, इसलिए उन्हें व्यापक चर्चा और संवाद के माध्यम से लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एक लोकतंत्र के रूप में हमें सही मायने में प्रगतिशील समाज के विकास के लिए जन-केंद्रित नीतियों पर अधिक जोर देना होगा।
सहभागी लोकतंत्र की भूमिका पर जोर देते हुए, लोक सभा अध्यक्ष ने सलाह दी कि एक ऐसी प्रणाली पर काम किया जा सकता है जिसका उपयोग करते हुए जिला परिषद भी राज्य/केंद्रीय विधान सभाओं की तरह कार्य कर सकें और  जिसमें प्रश्न काल, उत्तर दिए जाने  आदि के पहलुओं को शामिल किया जाए, जिससे अधिक जवाबदेही आएगी। ओम बिरला ने कहा कि इससे अधिक पारदर्शिता भी आएगी।

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