Operation Sindoor : उन्नत युद्ध उपकरणों से सुसज्जित भूमिगत बंकर, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी से युक्त एकीकृत कमांड रूम, दुश्मन के लक्ष्यों पर ताक पर रखे गए तोपखाने, 24 घंटे चालू निगरानी प्रणालियां तथा हवाई खतरों से निपटने के लिए तैयार वायु रक्षा बंदूकें। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन सभी के बेहतर तालमेल और इस्तेमाल ने पाकिस्तान को एक बार फिर अच्छा सबक सिखाया। भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी जमीन पर डटी रही और सटीकता के साथ दुश्मन पर जवाबी हमला किया।
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सीमा पार से गोलाबारी रुकने के बाद सेना ने अपनी शक्ति और संचालन की कुछ झलकें दिखाईं। सावधानीपूर्वक योजना, पूरी तैयारी और अत्याधुनिक रक्षा बुनियादी ढांचे, ये सब भारतीय सेना की प्लानिंग का हिस्सा हैं। सीमा पार से भारी फायरिंग की वजह से बंकरों का बंदोबस्त भी समय रहते कर लिया गया था। बंकरों के अंदर तैनात सैनिकों के पास जीवन रक्षा किट, बिस्तर, पानी, राशन, दवाई और सुरक्षित संचार लाइनें, हर समय सुरक्षा और युद्ध की तत्परता सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध थीं। भूमिगत कमांड पोस्ट भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी जमीन के ऊपर। सेना ने इन सभी का बखूबी इस्तेमाल किया।इन बंकरों में कमांडर महत्वपूर्ण परिचालन निर्णय लेने के लिए वास्तविक समय की खुफिया जानकारी लेते हैं। फिर उसके आधार पर कार्रवाई का प्लान तैयार करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर में तोपखाने की मारक क्षमता सबसे निर्णायक तत्व के रूप में उभरी, जिसने नियंत्रण रेखा पर सटीकता और अपने दबदबे दोनों का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान की तरफ से भारत के रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाने के बावजूद भारतीय सेना ने एक संतुलित प्रतिक्रिया दी। केवल उन पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाया जो आतंकियों के लॉन्चिंग पैड थे। पाकिस्तान की हिमाकत को देखते हुए उसे सबक सिखाने के लिए सेना को तोप से ऐसे बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का निर्देश मिला, जहां से फायरिंग की जा रही थी। इसी तरह से सेना की वायु रक्षा प्रणालियों ने भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सीमा पार से संभावित हवाई खतरों के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है।
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वायु रक्षा सैनिकों को तेजी से अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया, जो आकाशतीर कमांड पोस्ट से हवाई लक्ष्यों की निगरानी, ट्रैक और सटीकता के साथ दुश्मन को निशाना बनाने के लिए काम कर रहे थे। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की मारक क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि उसकी जबरदस्त तैयारी और रणनीतिक गहराई को भी दुनिया को दिखा दिया। भूमिगत कमांड सेंटर से लेकर गरजने वाले तोपखाने और सतर्क हवाई रक्षा तक, भारतीय सेना ने साबित कर दिया कि वो दुश्मन की ईंट से ईंट बजाने के लिए हमेशा तैयार है।
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