नई दिल्ली (रिपोर्ट- तरुण कालरा): विदेशी कंपनियों से होने वाले बड़े रक्षा सौदों में अनिवार्य भारतीय ऑफसेट पार्टनर पर सीएजी (CAG) ने सवाल खड़े किए है। सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 सालों में रक्षा सौदों में भारतीय ऑफसेट पार्टनर के जरिये होने वाले निवेश में 59% हिस्सा महज तीन कंपनियों के जरिये होना तय हुआ है। बतौर ऑफसेट पार्टनर विदेशी कंपनियों से सौदों में भारतीयों कंपनियों की सूची वैसे भी बहुत छोटी है।
एक दशक में 15 कंपनियां ही इस क्षेत्र में उतरी हैं। यानी पिछले एक दशक में 66 हज़ार करोड़ का निवेश इन 15 कंपनियों के जरिये ही होना है। इसमे भी इन 15 कंपनियों में सिर्फ 3 कंपनियों को 59 फीसदी यानी 38 हज़ार करोड़ रुपयों का काम मिला है। खास बात ये है कि सीएजी की रिपोर्ट में इन तीन कंपनियों का नाम तक नहीं है।
राष्ट्रीय रक्षा का हवाला देते हुए रक्षा मंत्रालय ने इन कंपनियों का नाम नहीं दिया है। रिपोर्ट के जरिये हुए इस खुलासे के बाद विपक्ष ने सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के मुताबिक सीएजी रिपोर्ट में हुए खुलासों से पहले राहुल गांधी कई संगीन आरोप केंद्र पर लगा चुके है। लिहाजा cag रिपोर्ट के खुलासों के बाद केंद्र कि मोदी सरकार बेनकाब हुई है।
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कैग ने पाया है कि 28 सौदों में कुल 129 इंडियन पार्टनर थे। इनमे 16 कंपनियों ने 5 से अधिक कॉन्ट्रैक्ट हांसिल किये। इनमे भी 3 ऑफसेट पार्टनर्स के पास 59% कॉन्ट्रैक्ट गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी कंपनियों ने खुलासा नही किया है कि किन किन कंपनियों को कितना workshare मिला है, लिहाजा ऐसी 3 कंपनियों के नाम सार्वजनिक नही हो सके हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के मुताबिक रोज़ाना हो रहे नए नए खुलासों से साफ है कि देश के सामने राफाल डील का पूरा सच अभी सामने नही आया है।
संसद में रखी गई CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की जिस ऑफसेट पॉलिसी के तहत राफेल डील हुई है, उसमें यह प्रावधान है कि राफेल बनाने वाली दसॉ एविएशन भारत को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहायता देगी, लेकिन फ्रेंच कंपनी ने अभी तक अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभाई है. अभी ये मामला पूरी तरह से ठंडा भी नही हुआ था कि 59% रक्षा सौदों की जिम्मेदारी महज 3 कंपनियों को मिलने से संदेह हो गहरा गया है।।
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