Parliament: राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह बोले -‘वंदे मातरम्’ आज भी स्वतंत्रता, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का सबसे शक्तिशाली जयघोष

Parliament: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर आज राज्य सभा में विशेष चर्चा की शुरूआत की। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम पर चर्चा और इसके प्रति समर्पण की ज़रूरत वंदे मातरम बनने के समय भी थी, आज़ादी के आंदोलन के समय भी थी, आज भी है और जब 2047 में महान भारत बनेगा, तब भी होगी। वंदे मातरम मां भारती के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य के भाव जागृत करने वाली एक अमर कृति है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग वंदे मातरम के महिमामंडन को पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों के साथ जोड़कर कम करना चाहते हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ पश्चिम बंगाल और भारत तक सीमित नहीं रहा बल्कि दुनियाभर में जहां भी आज़ादी के दीवाने थे, वे अपनी गुप्त बैठकों में भी वंदे मातरम का गान करते थे। गृह मंत्री ने कहा कि आज भी जब सरहद पर हमारा जवान और आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस का जवान अपना सर्वोच्च बलिदान देता है, तब उसके मुंह पर वंदे मातरम का ही मंत्र होता है। Parliament:

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केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम का गीत भारत माता को गुलामी की जंज़ीरों से मुक्त करने, आजादी का उद्घोष और आजादी के संग्राम का प्रेरणास्रोत बना है। भारत के शहीदों को अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए अगले जन्म में फिर से मां भारती के लिए बलिदान देने की प्रेरणा वंदे मातरम से ही मिलती है। उन्होंने कहा कि कई मनीषियों को हमारे चिर पुरातन देश को सदियों तक अपनी संस्कृति के रास्ते पर आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी वंदे मातरम से ही मिली। श्री शाह ने कहा कि वंदे मातरम पर संसद के दोनों सदनों में हो रही चर्चा, महिमामंडन और गौरवगान से हमारे बच्चे, किशोर, युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम के महत्व को भी समझेंगे और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार भी बनाएंगे।

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केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित वंदे मातरम गीत 07 नवंबर, 1875 को सार्वजनिक हुआ था। उन्होंने कहा कि रचना के बाद देखते देखते वंदे मातरम राष्ट्रभक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेना का प्रतीक बन गया जिसने हमारे आजादी के आंदोलन का रास्ता प्रशस्त किया। हम सबको वंदे मातरम की रचना की पृष्ठभूमि को ज़रूर याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम गीत की रचना की पृष्ठभूमि में सदियों तक इस्लामिक आक्रमण को झेलकर देश की संस्कृति और इतिहास को छिन्न-भिन्न करना था। उसके बाद अंग्रेज़ों ने अपने शासनकाल में हम पर एक नई सभ्यता और संस्कृति थोपने का प्रयास किया था और उस वक्त बंकिम बाबू ने वंदे मातरम की रचना की। श्री शाह ने कहा कि वंदे मातरम की रचना में बहुत बारीकी से हमारी मूल सभ्यता, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और देश की मां के रुप में कल्पना कर उसकी आराधना करने की हमारी परंपरा को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने पुनर्स्थापित करने का काम किया था। उन्होंने कहा कि उस वक्त की सरकार ने इसे रोकना चाहा, इसके गान पर प्रतिबंध लगाया। वंदे मातरम बोलने वालों पर कोड़े बरसाए जाते थे और उन्हें जेल में डाल दिया जाता था, लेकिन फिर भी उन सारे प्रतिबंधों को पार कर इस गीत ने बिना किसी प्रचार के हर व्यक्ति के मन को भी छुआ और इस गीत का कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रसार हुआ। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम एक प्रकार से भारत की संस्कृति के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी लोगों के पुनर्जागरण का मंत्र बन गया है। Parliament:

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गुलामी के कालखंड में हमारे कई मंदिर, विश्वविद्यालय, कला केन्द्र, कृषि और शिक्षा व्यवस्था को तोड़ दिया गया लेकिन हमारी संस्कृति के भाव को हमारे जनमानस से कोई नहीं मिटा सका। उन्होंने कहा कि उस वक्त ज़रूरत थी उस भाव को जागृत करने और पुनर्संगठित करने की और उसी वक्त बंकिम बाबू ने वंदे मातरम की रचना की। इसे न अंग्रेज़ रोक सके और न उस सभ्यता को स्वीकार करने वाले लोग रोक सके। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने एक ऐसे राष्ट्र को जागरूक किया जो अपनी दिव्य शक्ति को भुला चुका था। वंदे मातरम ने राष्ट्र की आत्मा को जागृत करने का काम किया। महर्षि अरविंद ने कहा था कि वंदे मातरम भारत के पुनर्जन्म का मंत्र है और यह कथन वंदे मातरम की महत्ता को बताता है। श्री शाह ने कहा कि श्री अरविंद का वंदे मातरम के प्रति यह भाव देश के बच्चे-बच्चे के लिए एक प्रेरणास्रोत और हमारी आज़ादी का नारा बन गया।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारा देश पूरी दुनिया में अनूठा है और भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसकी सीमाएं हमारी संस्कृति ने तय की हैं और इसी ने भारत को जोड़कर रखा है। गुलामी के कालखंड में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार को जागृत करने का काम बंकिम चंद्र चट्टोपाध्य्य जी ने किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश को जोड़ने वाला मंत्र हमारी संस्कृति है और इसी के कारण वंदे मातरम के उद्घोष ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत को पहली बार स्थापित करने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि आज पूरा देश सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना को स्वीकार कर आगे बढ़ रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि भारत कोई ज़मीन का टुकड़ा नहीं है बल्कि हमारी मां का रूप है और हम उसका भक्ति गान भी करते हैं, उसकी अभिव्यक्ति ही वंदे मातरम है। वंदे मातरम की रचना में हमारे जीवन में भारत माता की कल्पना के योगदान का भावना के साथ वर्णन किया गया है। इसमें भारत माता को जल, फल और समृद्धि की दायिनी बताया गया है, भारत माता को पुष्पों से शोभित, मन को प्रफुल्लित करने वाली और सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा का स्वरूप बताया गया है। उन्होंने कहा कि एक प्रकार से हमारी समृद्धि, सुरक्षा, ज्ञान और विज्ञान भारत मां की ही कृपा और आराधना से ही प्राप्त हो सकता है। दुर्गा की वीरता, लक्ष्मी की संपन्नता और सरस्वती की मेधा हमें भारत मां की कृपा और देश की मिट्टी ही दे सकती है, इसीलिए इसे बारंबार प्रणाम करना चाहिए। Parliament:

 

 केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मातृभूमि ही हमें पहचान, भाषा देती है, सभ्य जीवन जीने की संस्कृति का आधार बनाती है और हमारे जीवन को ऊपर उठाने का अवसर देती है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि से बढ़कर कुछ नही हो सकता और इस चिरपुरातन भाव को बंकिम बाबू ने पुनर्जीवित किया। गुलामी के घनघोर रात्रि जैसे कालखंड में बिजली के प्रकाश की तरह वंदे मातरम ने जन-जन के मन में गुलामी की मानसिकता छोड़कर स्वराज की प्राप्ति का जोश जगाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के हमारे सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने शहीद होते हुए अंतिम शब्द वंदे मातरम ही बोले। उन्होंने कहा कि 1907 में कलकत्ता में वंदे मातरम नाम का अंग्रेज़ी अखबार शुरू हुआ जिसके संपादक  महर्षि अरविंद थे। ब्रिटिश सरकार ने उसे सबसे खतरनाक राष्ट्रवादी पत्र माना और श्री अरविंद पर राजद्रोह का मुकदमा चलाते हुए उन्हें सज़ा दी। गृह मंत्री ने कहा कि 1896 में गुरुवर टैगोर ने पहली बार कांग्रेस के अधिवेशन में वंदे मातरम को सार्वजनिक रूप से गाया, 1905 में वाराणसी अधिवेशन में महान कवियित्री सरला देवी चौधरानी ने पूर्ण वंदे मातरम का गान किया और 15 अगस्त, 1947 को जब देश आजाद हुआ तब सुबह साढ़े 6 बजे सरदार पटेल के आग्रह पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर जी ने आकाशवाणी से अपने मधुर स्वर में वंदे मातरम का गान कर देश को भावुक कर दिया। उन्होंने कहा कि 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक में वंदे मातरम को राष्ट्रगान के बराबर सम्मान देते हुए राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम पर चर्चा को टालने की मानसिकता कोई नई नहीं है। 1925 में वंदे मातरम की स्वर्ण जयंती पर अगर तत्कालीन मुख्य राजनीतिक पार्टी के नेता ने वंदे मातरम् के दो टुकड़े कर तुष्टीकरण की शुरुआत न की होती, तो देश का विभाजन भी न होता। उन्होंने कहा कि 50वें पड़ाव पर वंदे मातरम को सीमित कर दिया गया और वहीं से तुष्टीकरण की शुरूआत हुई, जो आगे जाकर देश के विभाजन में बदल गया। श्री शाह ने कहा कि अगर तुष्टीकरण की नीति के तहत वंदे मातरम के दो टुकड़े न किए गए होते, तो देश का बंटवारा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के 100वें वर्ष में वंदे मातरम बोलने वाले सभी लोगों को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जेल में बद कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस देश में आपातकाल लगाया गया, विपक्ष के लाखों लोगों, समाजसेवियों, स्वयंसेवी संगठनों के लोगों को जेल में भर दिया गया। गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान बिना किसी कारण अखबारों के दफ्तरों पर ताले लगा दिए गए। आकाशवाणी पर किशोर कुमार के गीतों का प्रसारण नहीं होता था और युगल गीत भी सिर्फ लता जी की ही आवाज़ में बजते थे। जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ तब पूरे देश को बंदी बनाकर रख दिया गया था। श्री शाह ने कहा कि जिस मुख्य राजनीतिक पार्टी के अधिवेशनों की शुरुआत गुरुदेव टैगोर वन्दे मातरम् गाकर कराते थे, उसी पर जब लोकसभा में चर्चा हुई, तब उस पार्टी से जुड़े प्रमुख परिवार के सदस्य नदारद थे। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले से लेकर आज तक, वन्दे मातरम् का अपमान मुख्य विपक्षी पार्टी के नेतृत्व के खून में रहा है। Parliament:

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी की एक नेता ने लोकसभा में कहा है कि आज वंदे मातरम पर चर्चा की कोई ज़रूरत नहीं है। जिस गीत को महात्मा गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जोड़ा हुआ गीत कहा, बिपिनचंद्र पाल ने राष्ट्रधर्म में राष्ट्रभक्ति और कर्तव्य की समाहित अभिव्यक्ति कहा, उसके टुकड़े करने का काम भी विपक्षी पार्टी ने ही किया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वंदे मातरम ने हमारे आज़ादी के आंदोलन को गति देने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि गुलामी के कालखंड के दौरान 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी हमारी हॉकी टीम ने भावपूर्ण तरीके से वंदे मातरम का गान किया और हमने स्वर्ण पदक जीता।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी की रचना ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर हुई है। उनकी पार्टी की रचना इसलिए हुई ताकि ये देश पाश्चात्य संस्कृति के आधार पर नहीं, बल्कि अपनी मूल संस्कृति और मूल विचारों के आधार पर चले।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि रिकॉर्ड में दर्ज है कि इस संसद में वंदे मातरम गायन बंद करा दिया गया। उन्होंने कहा कि 1992 में सांसद श्री राम नाईक ने एक अल्पावधि चर्चा के माध्यम से वंदे मातरम को संसद में फिर से गाने की शुरुआत करने का मुद्दा उठाया था। उस समय नेता प्रतिपक्ष रहे श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने बहुत प्रमुखता के साथ लोकसभा स्पीकर से कहा कि इस महान सदन में वंदे मातरम का गान होना चाहिए, क्योंकि संविधान सभा ने इसे स्वीकार किया है। तब जाकर लोकसभा ने सर्वानुमति से 1992 में वंदे मातरम के गान की शुरुआत की।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम जब वंदे मातरम के गान की शुरुआत कर रहे थे, उस वक्त भी विपक्षी गठबंधन के बहुत सारे सदस्यों ने कहा था कि वे वंदे मातरम नहीं गाएंगे। गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने देखा है कि वंदे मातरम गायन से पहले सदन में बैठे लोग वंदे मातरम का गान शुरू होने पर उठ कर सदन के बाहर चले जाते हैं। श्री शाह ने कहा कि उनकी पार्टी का एक भी सदस्य ऐसा नहीं है जो वंदे मातरम के गान के वक्त खड़ा न होता हो। गृह मंत्री ने सभापति से आग्रह किया कि वे ऐसे सदस्यों के नाम इस चर्चा के रिकॉर्ड में शामिल करने का आदेश दें।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी की 130वीं पुण्य तिथि पर हमारी सरकार ने डाक विभाग से एक स्टांप जारी किया और स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया। उस वक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनता का आह्वान किया था कि तिरंगा फहराते वक्त कोई वंदे मातरम बोलना नहीं भूले।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने वंदे मातरम की 150 वीं वर्षगांठ भी बहुत अच्छी तरह मनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2025 को कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर तय किया कि अगला पूरा एक साल वंदे मातरम के यशोगान के तौर पर मनाया जाएगा। 24 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने 7 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित कर इस अभियान का शुभांरभ किया। इसका पहला चरण नवंबर में हो चुका है, दूसरा चरण जनवरी 2026, तीसरा चरण अगस्त 2026 और चौथा चरण नवंबर 2026 में होगा। उन्होंने कहा कि स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया जा चुका है।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम – नाद एकम रूप अनेकम’ शीर्षक से 75 वादकों द्वारा विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुतीकरण की रचना हो चुकी है और भारत सरकार के आह्वान पर देश की जनता ने बीते 7 नवंबर को देशभर में वंदे मातरम का सामूहिक गान किया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। हर जिले और तहसील में जनता को वंदे मातरम पर प्रदर्शनी भी दिखाई जाएगी। साथ ही डिजिटल मोड से यह प्रदर्शनी करोड़ों लोगों को भेजी जाएगी।गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने आकाशवाणी, दूरदर्शन और एफएम रेडियो चैनलों पर विशेष कार्यक्रमों के आयोजन का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा Tier-2 और Tier-3 शहरों में चर्चा और सभाएं आयोजित की जाएंगी। सभी भारतीय दूतावासों में वंदे मातरम आधारित सांस्कृतिक सभाएं आयोजित होंगी। वंदे मातरम Salute to Mother Earth के तहत वृक्षारोपण जारी है। हाइवे पर देशभक्ति आधारित और वंदे मातरम के इतिहास को दर्शाते हुए भित्तिचित्र भी दिखाए जाएंगे। रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर LED Display के माध्यम से सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। साथ ही, वंदे मातरम और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी के जीवन पर आधारित 25 लघु फिल्में बनाने की भी शुरुआत हो चुकी है।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब देश की आजादी के 75 साल पूरे हुए, तब कोरोना काल होने के बावजूद 2 साल तक देश के गांव-गांव में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया गया। अमृत महोत्सव के माध्यम से हमने इस देश की युवा पीढ़ी को 1857 से 1947 तक देश की आजादी के पूरे संघर्ष से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के कई गुमनाम नायक, जिनके नाम कभी इतिहास में दर्ज ही नहीं हुए, ऐसे नायकों के ब्योरे ढूंढकर उनके स्मारक बनाए गए, देश भर में कई कार्यक्रम हुए और देश भक्ति का एक नया ज्वार खड़ा करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार ऐसे कार्यक्रम आयोजित हुए।  Parliament:

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक के 75 साल में जितनी भी सरकारें आईं, सबने देश को बहुत आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हमने अपने लोकतंत्र को बहुत मजबूत किया है और आज हमारे लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हो चुकी हैं। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के 75 साल से 100 साल तक के कालखंड को ‘अमृत काल’ का नाम दिया है। प्रधानमंत्री जी ने देश के युवाओं के सामने एक संकल्प रखा है कि आजादी के अमृत महोत्सव से आजादी की शताब्दी तक के इस कालखंड को हम चुनौती के रूप में लेंगे। जब आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी, हमारा देश पूरे विश्व में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम होगा। यह सिर्फ मोदी जी या किसी एक राजनीतिक दल का संकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे भी एक राजनैतिक नारा समझते हैं, जबकि यह 140 करोड़ भारतीयों का सकंल्प है, जो पूरा होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि यह देव योग ही है कि जब हम अमृत काल मना रहे, तभी वंदे मातरम का 150वां साल आया है। इसके माध्यम से हम राष्ट्रभक्ति जगाने का काम करेंगे।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम कभी अप्रासंगिक नहीं होगा। जब वंदे मातरम की रचना हुई, तब इसकी जरूरत जितनी थी, आज भी उतनी है। उन्होंने कहा कि उस समय वंदे मातरम देश को आजाद बनाने का कारण बना, जबकि अमृत काल में वंदे मातरम देश को विकसित और महान बनाने का नारा बनेगा।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सदन के सभी सदस्यों की यह साझी जिम्मेदारी है कि हम हर बच्चे के मन में वंदे मातरम के संस्कार पुनः जागृत करें, हर किशोर के मन में वंदे मातरम के नारे प्रस्थापित करें और हर युवा को वंदे मातरम की व्याख्या के रास्ते पर अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत की कल्पना की थी, वंदे मातरम का उद्घोष उस भारत की रचना का कारण बने।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी की रचना ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर हुई है। हमारी पार्टी की रचना इसलिए हुई ताकि ये देश पाश्चात्य संस्कृति के आधार पर नहीं, बल्कि अपनी मूल संस्कृति और मूल विचारों के आधार पर चले।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि रिकॉर्ड में दर्ज है कि इस संसद में वंदे मातरम गायन बंद करा दिया गया। उन्होंने कहा कि 1992 में सांसद श्री राम नाईक ने एक अल्पावधि चर्चा के माध्यम से वंदे मातरम को संसद में फिर से गाने की शुरुआत करने का मुद्दा उठाया था। उस समय नेता प्रतिपक्ष रहे श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने बहुत प्रमुखता के साथ लोकसभा स्पीकर से कहा कि इस महान सदन में वंदे मातरम का गान होना चाहिए, क्योंकि संविधान सभा ने इसे स्वीकार किया है। तब जाकर लोकसभा ने सर्वानुमति से 1992 में वंदे मातरम के गान की शुरुआत की।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम जब वंदे मातरम के गान की शुरुआत कर रहे थे, उस वक्त भी विपक्षी गठबंधन के बहुत सारे सदस्यों ने कहा था कि वे वंदे मातरम नहीं गाएंगे। गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने देखा है कि वंदे मातरम गायन से पहले सदन में बैठे लोग वंदे मातरम का गान शुरू होने पर उठ कर सदन के बाहर चले जाते हैं। श्री शाह ने कहा कि हमारी पार्टी का एक भी सदस्य ऐसा नहीं है जो वंदे मातरम के गान के वक्त खड़ा न होता हो।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी की 130वीं पुण्य तिथि पर हमारी सरकार ने डाक विभाग से एक स्टांप जारी किया और स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया। उस वक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनता का आह्वान किया था कि तिरंगा फहराते वक्त कोई वंदे मातरम बोलना नहीं भूले।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने वंदे मातरम की 150 वीं वर्षगांठ भी बहुत अच्छी तरह मनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2025 को कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर तय किया कि अगला पूरा एक साल वंदे मातरम के यशोगान के तौर पर मनाया जाएगा। 24 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने 7 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित कर इस अभियान का शुभांरभ किया। इसका पहला चरण नवंबर में हो चुका है, दूसरा चरण जनवरी 2026, तीसरा चरण अगस्त 2026 और चौथा चरण नवंबर 2026 में होगा। उन्होंने कहा कि स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया जा चुका है।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम – नाद एकम रूप अनेकम’ शीर्षक से 75 वादकों द्वारा विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुतीकरण की रचना हो चुकी है और भारत सरकार के आह्वान पर देश की जनता ने बीते 7 नवंबर को सुबह 10 बजे देशभर में वंदे मातरम का सामूहिक गान किया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। हर जिले और तहसील में जनता को वंदे मातरम पर प्रदर्शनी भी दिखाई जाएगी। साथ ही डिजिटल मोड से यह प्रदर्शनी करोड़ों लोगों को भेजी जाएगी।गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने आकाशवाणी, दूरदर्शन और एफएम रेडियो चैनलों पर विशेष कार्यक्रमों के आयोजन का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा Tier-2 और Tier-3 शहरों में चर्चा और सभाएं आयोजित की जाएंगी। सभी भारतीय दूतावासों में वंदे मातरम आधारित सांस्कृतिक सभाएं आयोजित होंगी। वंदे मातरम Salute to Mother Earth के तहत वृक्षारोपण जारी है। हाइवे पर देशभक्ति आधारित और वंदे मातरम के इतिहास को दर्शाते हुए भित्तिचित्र भी दिखाए जाएंगे। रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर LED Display के माध्यम से सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। साथ ही, वंदे मातरम और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी के जीवन पर आधारित 25 लघु फिल्में बनाने की भी शुरुआत हो चुकी है।

 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब देश की आजादी के 75 साल पूरे हुए, तब कोरोना काल होने के बावजूद 2 साल तक देश के गांव-गांव में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया गया। अमृत महोत्सव के माध्यम से हमने इस देश की युवा पीढ़ी को 1857 से 1947 तक देश की आजादी के पूरे संघर्ष से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के कई गुमनाम नायक, जिनके नाम कभी इतिहास में दर्ज ही नहीं हुए, ऐसे नायकों के ब्योरे ढूंढकर उनके स्मारक बनाए गए, देश भर में कई कार्यक्रम हुए और देश भक्ति का एक नया ज्वार खड़ा करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार ऐसे कार्यक्रम आयोजित हुए। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक के 75 साल में जितनी भी सरकारें आईं, सबने देश को बहुत आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हमने अपने लोकतंत्र को बहुत मजबूत किया है और आज हमारे लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हो चुकी हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के 75 साल से 100 साल तक के कालखंड को ‘अमृत काल’ का नाम दिया है। प्रधानमंत्री जी ने देश के युवाओं के सामने एक संकल्प रखा है कि आजादी के अमृत महोत्सव से आजादी की शताब्दी तक के इस कालखंड को हम चुनौती के रूप में लेंगे। जब आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी, हमारा देश पूरे विश्व में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम होगा। यह सिर्फ मोदी जी या किसी एक राजनीतिक दल का संकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे भी एक राजनैतिक नारा समझते हैं, जबकि यह 140 करोड़ भारतीयों का सकंल्प है, जो पूरा होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि यह देव योग ही है कि जब हम अमृत काल मना रहे, तभी वंदे मातरम का 150वां साल आया है। इसके माध्यम से हम राष्ट्रभक्ति जगाने का काम करेंगे।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम कभी अप्रासंगिक नहीं होगा। जब वंदे मातरम की रचना हुई, तब इसकी जरूरत जितनी थी, आज भी उतनी है। उन्होंने कहा कि उस समय वंदे मातरम देश को आजाद बनाने का कारण बना, जबकि अमृत काल में वंदे मातरम देश को विकसित और महान बनाने का नारा बनेगा।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सदन के सभी सदस्यों की यह साझी जिम्मेदारी है कि हम हर बच्चे के मन में वंदे मातरम के संस्कार पुनः जागृत करें, हर किशोर के मन में वंदे मातरम के नारे प्रस्थापित करें और हर युवा को वंदे मातरम की व्याख्या के रास्ते पर अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत की कल्पना की थी, वंदे मातरम का उद्घोष उस भारत की रचना का कारण बने।

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