Parliament Special Session: राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस जारी, सरकार और विपक्ष ने एक दूसरे पर साधा निशाना

(प्रदीप कुमार)-महिला आरक्षण विधेयक को लेकर आज राज्यसभा में जोरदार बहस देखने को मिली कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल पेश किया। इसके बाद कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने चर्चा की शुरुआत की।उन्होंने बिल के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि महिलाओं को वंदन नहीं, समानता चाहिए।

रंजीत रंजन,सांसद कांग्रेस-वही महिला बिल पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी। सदन में जेपी नड्डा ने कहा कि ये बिल महिलाओं पर अहसान नहीं, बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है। अगर ये बिल आज पास होता है तो 2029 तक 33% महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी। महिला आरक्षण बिल लागू होने में देरी क्यों? आरक्षण बिल में कुछ महिलाओं को आरक्षण क्यों नहीं? विपक्ष के इन सवालों पर राज्यसभा में बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने जवाब देते हुए कहा कि, ‘महिलाओं को किस सीट पर रिजर्वेशन मिले,किस सीट पर नहीं मिलना चाहिए? ये फैसला सरकार नहीं कर सकती। ये फैसला आयोग करेगा। इससे पहले जरूरी है कि पहले जनगणना होनी चाहिए, परिसीमन आए
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कबीर का दोहा ‘काल करे सो, आज कर’ सुनाया और तुरंत आरक्षण लागू करने की मांग की।जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि बीजेपी का उद्देश्य राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है। सरकार नियमों से काम करती है और पक्का काम करने में विश्वास रखती है। इस पर विपक्षी सांसद ‘नो-नो’ करने लगे तो नड्डा ने कहा कि कि ‘नो-नो’ करने वालों को शासन करना नहीं आया। अगर शासन करना आता तो पता होता कि नियम-कानून भी कोई चीज है।

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इस दौरान जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सिल्वर स्पून के साथ पैदा होते हैं, उन्हें गरीबों की परेशानियां नहीं पता होतीं। एक लीडर को लीडर बनना पड़ता है, सिखाए हुए बयान देने से काम नहीं चलता।वही कांग्रेस सांसद केसी वणुगोपाल ने राज्यसभा में कहा कि बीजेपी सरकार ने 2014 में महिला आरक्षण बिल लाने का वादा किया था। आपको बिल लाने में 9 साल क्यों लग गए, आपको किसने रोका था। केसी वेणु गोपाल ने तंज कसते हुए कहा कि क्या पीएम मोदी नई संसद में आने का इंतजार कर रहे थे, क्या पुरानी संसद में वास्तु दोष था?

महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इसमें बीजेपी की नीयत साफ नहीं है। अगर नीयत महिला सशक्तिकरण की थी तो इसे तुरंत लागू करना चाहिए था । वही समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि जब आप यह आरक्षण लेकर आए हैं और जब आपका अस्तित्व और वर्चस्व ओबीसी मतदाताओं पर आधारित है। आप 10 साल से सरकार में ओबीसी मतदाताओं के दम पर ही हैं, तो फिर आप ओबीसी महिलाओं को राजनीतिक अधिकार क्यों नहीं देना चाहते?वही टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में कहा कि आज पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य, वित्त, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, लेकिन बीजेपी को 16 मुख्यमंत्रियों में से एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं मिल सकी और वे हमें महिलाओं के अधिकारों पर उपदेश दे रहचर्चा में हिस्सा लेते हुए राज्यसभा में AAP सांसद संदीप कुमार पाठक ने कहा कि जनगणना और परिसीमन से क्या निकलकर आएगा।

हम लोकसभा में आज 545 सदस्यों पर महिला आरक्षण बिल लागू क्यों नहीं कर देते,लेकिन बीजेपी को ये बिल लागू करना नहीं है,सिर्फ राजनीतिक क्रेडिट लेना है।बहरहाल महिला आरक्षण पर राज्यसभा में हुई जोरदार बहस में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने जोरदार दलीलें दी है ।

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